बेहद गरीब और लाचार व्यक्ति को मिला गौसेवा संगठन का सहारा

  • पांव के जख्म सड़ चुके थे किड़े बीलबीला रहे थे

खरसिया। खरसिया जानकी धर्मशाला के पास अंधेरे में विजय घोष नाम का एक व्यक्ति पड़ा था और दर्द से कराह रहा था। पांव में घाव था जो पुरी तरह सड़ चुके थे आसपास भयंकर बदबु से लोग परेशान हो रहे थे। वहां से गुजरने वाले नाक में रुमाल कपड़े ढंक कर चल रहे थे लेकिन इसकी तकलीफ़ पीड़ा किसी को दिखाई नहीं दे रही थी। नगर के बीचों-बीच धनाढ्य बस्ती जानकी धर्मशाला के बाहर एक कोने में पड़े असहनीय पीड़ा को सहन करते रोते बिलखते जीवन गुजार रहे इस लाचार बेबस पर किसी कि नज़र नहीं पड़ रही थी।

रात्रि में वहां से गुजर रहे खरसिया नगर के समाजसेवी संदेश शर्मा जी कि नजर पड़ी और उन्होंने तत्काल राकेश केशरवानी गौसेवक को फोन से इसके बारे में बताया। राकेश ने संदेश को बोला आप उसे किसी आटो से तुरंत पद्मावती हास्पिटल भेजो मैं वहीं पहुंच रहा हुं। घाव से इतना ज्यादा बदबु आ रहे थे कोई आटो वाले हास्पिटल पहुंचाने तैयार नहीं हो रहे थे। राकेश हॉस्पिटल से पहले आटो स्टेड पहुंचे और एक टोप्पो आटो वाले को किसी तरह मनाया गया, जख्म से इतना ज्यादा बदबु आ रहा था। हास्पीटल पहुंचते ही आटो वाला उल्टी कर बैठा, उस मरीज के हास्पीटल अंदर पहुंचते ही पुरा हास्पीटल बदबु से भर गया हर कोई अपने नाक में रूमाल कपड़ा से ढंक रखे थे।

आगे राकेश केशरवानी ने बताया मैं मरीज़ के साथ ही था मास्क पहन लिया था, हमलोग हर रोज गाय के सड़े हुए घाव साफ करते हैं किड़े नीकालते हैं। आज मैंने पहली बार किसी इंसान के घाव में किड़े बीलबीलाते देखे। फिलहाल मरीज़ का ड्रेसिंग मरहम-पट्टी साफ सफाई किया गया है अभी बाटल चढ़ाया गया है। दो तीन इंजेक्शन लगाया गया है उसके लिए भोजन पानी नये कप़ड़े गमछा कि ब्यवस्था कर दिया हुं। मरीज़ से पुछने पर अपना नाम विजय घोष बता रहा है, यहां अकेला है। इसका कोई जान पहचान नहीं है। कुछ दिन कबाड़ी में काम किया था। उसी दौरान एक बड़ा पत्थर इसके पांव में गिर गया था। अंगुठा पुरा कुचल गया था, नाखुन बाहर आ गये थे। खरसिया सिविल अस्पताल गया था ठिक से इलाज नहीं मिल पाया था।जेब में फुटी कौड़ी नहीं थी फटे पुराने कपड़े पहना हुआ था स्थिती बहुत ज्यादा खराब थी कुछ दिन और इलाज नहीं मिलता तो पांव काटने पड़ सकते थे।

आगे राकेश ने बताया आप सभी को बताते हुए बड़ा अच्छा लग रहा है की पद्मावती हास्पिटल के सुपर वायजर डाक्टर दिलेश्वर पटेल सर बहुत ही अच्छे सेवाभावी इंसान है। हमारी गौसेवा से बेहद प्रभावित है और इसीलिए एक दिन उन्होंने मुझे वचन दे रखें है जब तक पद्मावती हास्पिटल रहेगी। आपके नाम से हर महीने एक ग़रीब मरीज़ का मुफ्त इलाज किया जायेगा। चाहे कितना भी बड़ा केस हो लाखों रुपए खर्च हो कोई परेशानी नहीं। आज उसी कोटे से इस अंजान मरीज़ का दिपावली रोशनी करने का एक छोटा-सा प्रयास कर रहा हुं। जब तक मरीज का जख्म ठीक नहीं हो जाता हास्पीटल में ही रहेगा। डाक्टर सर मेरे सामने सभी स्टाफ नर्स से बोले है। इस मरीज़ का कोई परिजन नहीं है इसका घर जैसा केयर करना है। भोजन पानी सभी चीजों का ध्यान रखना हैं। बीच-बीच जाकर मैं भी मिलता रहुंगा।

मैंने मरीज़ को अपना मोबाइल नंबर लीख कर दे दिया हुं और बोल दिया हैं कोई भी प्रकार कि परेशानी हो नर्स मैडम से बोलकर मुझसे बात कर लेना। फिलहाल मरीज़ को एक रुम में शिफ्ट किया गया है, जहां तक मेरा अनुमान हैं इलाज लंबी चलेगी, जख्म बहुत गहरा है भरने में महीनों लग सकते हैं। मैं जीवन दायिनी पद्मावती हास्पिटल एवं डाक्टर दिलेश्वर पटेल सर एवं सभी सहयोगियों स्टाफ नर्सेस का हार्दिक आभार ब्यक्त करता हुं और मरीज कि तकलीफ़ जल्द दुर हो यही कामना करता हूं।

राकेश केसरवानी खरसिया