कौन हैं आकाश शर्मा जिसे कांग्रेस ने बनाया रायपुर (दक्षिण) का उम्मीदवार? क्या दे पाएंगे सुनील सोनी को चुनौती?

रायपुर: भाजपा के बाद कांग्रेस ने भी आज रायपुर शहर (साउथ) के लिए अपने उमीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस आलाकमान ने पेनल में शामिल दो नाम प्रमोद दुबे और आकाश शर्मा के बीच युवा नेता आकाश शर्मा को तरजीह दी और उनके नाम पर मुहर लगाई। इस तरह अब जहाँ भाजपा से दिग्गज और अनुभवी नेता सुनील सोनी मैदान में होंगे तो वही कांग्रेस की ओर से युवा नेता के रूप में आकाश शर्मा ताल ठोकेंगे।

कौन है आकाश शर्मा
कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवार बनाये गए आकाश शर्मा इस उप चुनाव के साथ ही अपने चुनावी करियर का पदार्पण करेंगे। हालांकि कांग्रेस संगठन में उन्हें लम्बे वक़्त तक काम करने का अनुभव है। वे 2014 से 2020 तक एन.एस.यू.आई छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष रहे, और 2018 में वे एन.एस.यू.आई के राष्ट्रीय सचिव भी बने थे। बात उनकी शिक्षा की करे तो वह वाणिज्य संकाय में स्नातकोत्तर है। उनका जन्म 29 अक्टूबर 1989 को रायपुर में ही हुआ था। उनका परिवार मूल रूप से अर्जुन्दा से है। उनके पिता अरुण शर्मा सरकारी सेवा में है जबकि माता करुणामयी शर्मा गृहणी है। 6 वर्ष पूर्व आकाश शर्मा का विवाह अपूर्वा तिवारी से हुआ था। आकाश शर्मा कांग्रेस के सक्रिय सदस्य है और रायपुर दक्षिण सीट के हाली होने के बाद से ही वह प्रचार-प्रसार में जुटे गए थे। 2023 के उपचुनाव में भी उन्होंने इस सीट से उम्मीदवारी की थी लेकिन कांग्रेस ने महंत रामसुंदर दास पर अपना विश्वास जताया। कांग्रेस को इस सीट प् ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि उप चुनाव में पार्टी क्या कमाल कर पाती है।

बता दें कि, रायपुर दक्षिण में विधानसभा में कुल 2,59,948 मतदाता है। इनमें से पुरुष मतदाता 1,29,093 और महिला मतदाताओं की संख्या 1,30,804 है।

कैसा रहा पिछ्ला परिणाम?
बात करें 2023 के विधानसभा चुनाव के नतीजों की तो यहां से भाजपा ने अपने कद्द्वार नेता बृजमोहन अग्रवाल को मैदान पर उतारा था जबकि कांग्रेस ने महंत रामसुन्दर दास को मौका दिया था। बात परिणाम की करें तो भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल ने उन्होंने 67800 वोटों से कांग्रेस के महंत राम सुंदर दास को करारी शिकस्त दी थी। प्रदेश के किसी भी सीट में किसी उम्मीदवार के लिए जीत की यह सबसे बड़ी मार्जिन थी।

बात 2018 की करें तो तब भी भाजपा की तरफ से बृजमोहन अग्रवाल ही मैदान पर थे जबकि तब कांग्रेस ने कन्हैया अग्रवाल को मौका दिया था। इस चुनाव में भी नतीजे पहले जैसे ही रहे थे और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था।