सुरक्षा बलों पर हमले के लिए पटाखे और अगरबत्तियों का इस्तेमाल कर रहे नक्सली, वजह कर देगी हैरान

दिवाली के पटाखे और अगरबत्तियां नक्सलियों का नया हथियार बन गई हैं।नक्सली सुरक्षा बलों के कैंपों पर हमला करने के लिए इनका सहारा ले रहे हैं। वजह कर देगी हैरान?

Krishna Bihari Singh पीटीआई, नई दिल्लीWed, 2 Oct 2024 11:31 AM
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दिवाली पर फोड़े जाने वाले पटाखे और पूजा के लिए जलाई जाने वाली अगरबत्तियां नक्सलियों का नया हथियार बन गई हैं। नक्सली दूरदराज के इलाकों में सुरक्षा बलों के कैंपों पर हमला करने के लिए इनका सहारा ले रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि नक्सलियों की ओर से 25 सितंबर को तेलंगाना के कोठागुडेम जिले में सीआरपीएफ के पुसुगुप्पा शिविर के आसपास राकेट हमला और गोलीबारी के लिए अगरबत्ती के जरिए पटाखे फोड़ कर सुरक्षा बल के जवानों का ध्यान भटकाने का अनोखा तरीका अपनाया गया था।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 25 सितंबर की शाम को करीब साढ़े छह बजे जब अंधेरा छा रहा था तभी तेलंगाना-छत्तीसगढ़ सीमा पर कैंप में तैनात जवानों को धमाकों की आवाजें सुनाई दीं। उन्होंने बेस सीमा से करीब 200 मीटर दूर धुआं निकलते देखा। घने जंगल वाले इलाके में जब CRPF जवानों ने उधर मोर्चा संभाला तो कुछ ही देर में दूसरी ओर छिपे नक्सलियों की ओर से गोलीबारी होने लगी।

नक्सलियों ने रॉकेट या ग्रेनेड लांचर (बीजीएल) से हमला किया। जवानों ने इंसास और एके सीरीज की असॉल्ट राइफलों से जवाबी फायरिंग की, जबकि कुछ बम और ग्रेनेड भी दागे गए। करीब 45 मिनट तक आवाजें और फायरिंग जारी रही, जिसके बाद जवानों को पता चला कि नक्सली पीछे हट गए हैं। एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि कैंप की बाड़ को कुछ नुकसान पहुंचा क्योंकि उनके पास रॉकेट गिरे थे। हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ था।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि जांच करने पर पता चला कि दिवाली के पटाखे रस्सियों के सहारे पेड़ों पर लटकाए गए थे और उनको जलाने के लिए अगरबत्तियों का इस्तेमाल किया गया था। इससे पहले भी कुछ घटनाएं हुई हैं, जिनमें जवानों का ध्यान भटकाने के लिए इस तरह से पटाखे फोड़े गए थे। फिर शिविरों पर गोलीबारी की गई थी। रॉकेटों से भी हमला किया गया था। हालांकि तब इस हथकंडे के कोई सबूत नहीं मिले थे।

तेलंगाना की घटना का जिक्र करने वाले अधिकारी ने बताया कि पिछले महीने पुसुगुप्पा सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले ने नक्सलियों की इस नई तरकीब की पोल खोली है। विशेषज्ञों के अनुसार, नक्सली अगरबत्तियों का इस्तेमाल टाइमर के रूप में कर रहे हैं। वे पटाखों के पास इन्हें जलाते हैं। जब तक पटाखों में धमाका होता है तब तक वे कैंपों के पास गोलीबारी के लिए पोजीशन ले चुके होते हैं।

नक्सली अगरबत्तियों से पटाखे फोड़कर सुरक्षा बलों को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं। वे सुरक्षा बल के जवानों को कैंपों से बाहर निकालना चाहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि नक्सली आमने-सामने की लड़ाई करने की स्थिति में अब नहीं हैं, इसलिए वे प्रॉक्सी हमले कर रहे हैं। जवानों पर हमले करने के लिए वह आईईडी का इस्तेमाल सहित इन तकनीकों का सहारा ले रहे हैं।