केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को 2026 तक जड़ से खत्म करने के वादा के तहत बस्तर में नक्सलियों से लोहा लेने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 4 नई बटालियन की तैनाती शुरू हो चुकी है। नक्सल प्रभावित दक्षिण बस्तर में कुल 3,200 जवानों की तैनाती की जाएगी। जिसमें से 800 जवानों की पहली बटालियन हाल ही में छत्तीसगढ़ पहुंच चुकी है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कुछ वक्त पहले माओवाद को लेकर रायपुर में हुई एक बैठक में नक्सलवाद को 2026 तक जड़ से खत्म करने का वादा किया था और अब बस्तर में सुरक्षा बलों की यह नई तैनाती उसी दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।
बस्तर के महानिरीक्षक (आईजी) का कहना है कि सीआरपीएफ की नई बटालियन की तैनाती से न केवल सुरक्षा की स्थिति बेहतर होगी, बल्कि नक्सलियों के प्रभाव वाले इलाकों में विकास की योजनाएं भी तेजी से पहुंचाई जा सकेंगी। उन्होंने बताया कि इन जवानों को उन इलाकों में तैनात किया जा रहा है, जहां अभी तक नक्सली आतंक का दबदबा था और सिक्योरिटी वैक्यूम (सुरक्षाबलों की अनुपस्थिति) जैसी स्थिति बनी हुई थी।
अधिकारियों का मानना है कि इन जवानों की तैनाती से न केवल सुरक्षा का दायरा बढ़ेगा बल्कि विकास की योजनाओं को भी सुगमता से लागू किया जा सकेगा। इसके अलावा बस्तर के सुरक्षा शिविरों के पांच किलोमीटर के दायरे में स्थित गांवों में बुनियादी सुविधाएं और जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाएगा।
नक्सल विशेषज्ञ का मानना है कि सीआरपीएफ की तैनाती से सुरक्षाबलों का मनोबल बढ़ेगा और नक्सलियों पर दबाव बढ़ेगा। यह तैनाती नक्सलियों के सुरक्षित ठिकानों पर भी असर डालेगी। नई बटालियनों के आने से बस्तर में पहले से तैनात सुरक्षाबलों का मनोबल बढ़ेगा और नक्सली अब अपने सबसे सुरक्षित इलाकों में भी दबाव महसूस करेंगे। दक्षिण बस्तर के जंगलों में तैनात सीआरपीएफ की ये नई बटालियन नक्सलियों के खिलाफ इस अंतिम लड़ाई में निर्णायक साबित हो सकती है।