वेदांता कोल साइडिंग के कारण NH 49 रोड में धूल का अंबार

खरसिया। खरसिया क्षेत्र का एनएच 49 रोड, जो वेदांता कोल साइडिंग के समीप स्थित है, इन दिनों भारी समस्याओं का सामना कर रहा है। प्रतिदिन ट्रकों के अनगिनत आवागमन के कारण सड़क पर काले धूल के ढेर लगे हुए हैं, जो स्थानीय लोगों के लिए एक गंभीर समस्या बन चुके हैं। यह धूल न केवल यातायात को प्रभावित कर रही है, बल्कि स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे रही है।

वेदांता कोल साइडिंग से प्रतिदिन भारी संख्या में ट्रक गुजरते हैं, जिनमें कोयला लोड किया जाता है। ये ट्रक एनएच रोड के पास से गुजरते हैं, जिससे सड़क पर काले धूल का अंबार लग जाता है। धूल इतनी अधिक होती है कि तेज रफ्तार से गुजरते ट्रकों की वजह से बाइक सवारों को सामने का रास्ता नजर नहीं आता। धूल की इस समस्या के कारण सड़क पर चलने वाले वाहन चालक और पैदल यात्री दोनों ही प्रभावित हो रहे हैं। विशेष रूप से, जब ट्रक की गति तेज होती है, तो धूल की चादर फैल जाती है, जिससे दृष्टि बाधित हो जाती है और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।

धूल की इस चादर का प्रभाव केवल दृश्यता तक सीमित नहीं है; यह स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म देती है। काले धूल के कण आंखों में चले जाने से लोगों को गंभीर असुविधा होती है। छोटे बच्चों की आंखों में धूल के कण घुस जाने से उन्हें आंसू आने लगते हैं और उनकी आंखों में जलन होती है। बरसात के दिनों में, ट्रक के पहियों से उठने वाली कीचड़ धूप में सूखकर अधिक धूल का कारण बनती है। इस धूल से श्वसन समस्याएं, जैसे कि खांसी और अस्थमा, भी उत्पन्न हो सकती हैं, जो विशेष रूप से पहले से ही स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए खतरनाक हो सकती हैं।

धूल के कारण सड़क पर दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है। एनएच रोड पर लगातार धूल के कारण सड़क की दृश्यता में कमी आती है, जिससे ट्रैफिक दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। खरसिया क्षेत्र में अब तक 2-3 बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कुछ मामलों में जान भी चली गई है। तेज रफ्तार से चलने वाले ट्रक और अन्य वाहन चालक इस धूल के कारण मार्ग की सही स्थिति का अनुमान नहीं लगा पाते, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं।

सड़क पर धूल की समस्या और दुर्घटनाओं के बढ़ते मामलों के बावजूद, प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। वेदांता कोल साइडिंग के पास से गुजरने वाले ट्रकों की निगरानी और उनके द्वारा सड़क पर डाले जा रहे धूल के प्रबंधन के लिए उचित उपायों की कमी है। जबकि स्थानीय निवासियों और यात्रियों को इस धूल की समस्या से निपटने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, प्रशासन की ओर से कोई सक्रिय पहल नहीं की जा रही है।