नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)। एक शोध में यह बात सामने आई है कि किडनी फेलियर से पीड़ित कुछ वृद्धों के लिए डायलिसिस संभव नहीं हो सकता है। शोध में 75 या 80 वर्ष की आयु के लोगों के लिए इस प्रक्रिया में सावधानी बरतने की बात कही गई है।
अमेरिका में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए शोध में कहा गया है कि अगर ऐसे मरीजों का डायलिसिस किया जाता है तो वह ज्यादा से ज्यादा एक सप्ताह तक जीवित रह पाएंगे। वहीं अगर वह अस्पातल में है तो वह दो सप्ताह या उससे अधिक दिन निकाल पाएंगे। इस वजह से यह प्रक्रिया किडनी फेलियर से पीड़ित वृद्धों के लिए ठीक नहीं है।
पिछले रिकॉर्ड के आधार पर किए गए शोध में वृद्ध वयस्कों पर डायलिसिस के प्रभाव की जांच की गई। रैंडमाइज्ड क्लीनिकल ट्रायल (आरसीटी) की नकल करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने रोगियों को दो समूहों में विभाजित किया। एक वह जिनका तुरंत डायलिसिस शुरू किया गया। वहीं दूसरे समूह को इसके लिए एक महीने तक इंतजार करना पड़ा।
परिणामों से पता चला कि जिन लोगों ने डायलिसिस के लिए इंतजार किया, उनमें से लगभग 50 प्रतिशत ने तीन साल तक डायलिसिस नहीं कराया।
जिन्होंने तुरंत डायलिसिस शुरू कराई, वे इस प्रक्रिया के लिए न जाने वालों की तुलना में औसतन 9 दिन ज्यादा जीवित रहे लेकिन उन्हें अस्पताल में 13 दिन ज्यादा रहना पड़ा।
इसके अलावा, 80 वर्ष या उससे अधिक आयु के जिन रोगियों का तुरंत डायलिसिस शुरू किया गया, वे औसतन 60 दिन अधिक जीवित रहे, लेकिन उन्हें अस्पताल में 13 दिन अधिक बिताने पड़े। 65 से 79 वर्ष की आयु के जिन रोगियों ने तुरंत डायलिसिस शुरू कर दिया, वे औसतन 17 दिन से कम जीवित रहे, लेकिन उन्हें अस्पताल में 14 दिन अधिक बिताने पड़े।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की वरिष्ठ शोध इंजीनियर मारिया मोंटेज राथ ने कहा कि अध्ययन के अनुसार, जल्द डायलिसिस शुरू करने से जीवित रहने की संभावना बढ़ सकती है, लेकिन इससे डायलिसिस की अवधि के साथ अस्पताल में भर्ती होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
टीम ने कहा, डायलिसिस को अक्सर जीवन और मृत्यु के बीच एक विकल्प के रूप में देखा जाता है, जिससे मरीज इसके फायदों और स्वास्थ्य लाभों को लेकर ज्यादा आश्वस्त दिखते हैं।
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