Mystery of Flying River: देश के तमाम हिस्सों में भारी बारिश, बाढ़, बादल फटना, लैंडस्लाइड जैसी प्राकृति आपदाओं से तबाही मची हुई है. केरल, राजस्थान हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और गुजरात समेत देश के कई राज्यों में मौसम कहर बरपाए हुए है. क्या भारत में जारी विनाशकारी सैलाबी आफत की वजह आसमान में ‘बहती नदी’ है. क्या ‘उड़ती नदी’ से भारी बरसात की मुसीबत में इजाफा हुआ है. आखिर देश में ‘उड़ती नदी’ इस नदी का रहस्य क्या है. भारत में बरसात पर कितना असर डाल रही है ये नदी? आइए जानते हैं.
आखिर क्या है ‘उड़ती नदी’?
मॉनसून में राहत की बारिश करने वाले बादलों को कौन विनाशकारी बना रहा है. तबाही वाले ‘अदृश्य’ बादलों की क्या है मिस्ट्री? मॉनसून सीजन में वैसे तो बारिश होती रहती है, लेकिन पिछले कुछ सालों से भारत में बरसात का मिजाज बदल चुका है. इसकी वजह से आसमान में मौजूद तबाही वाले अदृश्य बादल. इन्हीं अदृश्य बादलों को कहते हैं, फ्लाइंग रिवर यानि उड़ती नदी कहा जा रहा है.
राजस्थान के बीकानेर में भारी बारिश से तबाही मची हुई है. रेल की पटरियों के ऊपर पानी बहते हुए देखा गया. वहीं कई इलाकों में भारी बारिश चलते लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. ऐसा ही कुछ स्थिति छत्तीसगढ़ के कांकेर में है. यहां पानी से लबालब भरे रास्ते को लोग जान जोखिम में डालकर पार करते हुए दिखे. हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों में बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं.
भारत में बढ़ा ‘उड़ती नदी’ का कहर
जानकारों का कहना है कि उड़ती नदी यानि एटमॉसफेरिक रिवर का कहर भारत में बढ़ा है. इसकी वजह हिन्द महासागर का गर्म होना है. एटमॉसफेरिक रिवर यानि वायुमंडलीय नदी जून से सितंबर के बीच मॉनसून को प्रभावित कर रही है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक आसमान में बहने वाली इस नदी का असर लगातार बढ़ता जा रहा है. इस तरह बेतहाशा बारिश में बढ़ोतरी की वजह वायुमंडलीय नदी को बताया जा रहा है.
क्या है ‘उड़ती नदी’ का रहस्य?
एक्सपर्ट का कहना है कि एटमॉसफेरिक रिवर वायुमंडस में वाटर वेपर यानि जल वाष्प के विशाल, अदृश्य रिबन हैं. ये गर्म महासागरों में पैदा होते हैं. ये भारी बारिश के लिए जिम्मेदार हैं. दुनिया की अमेजन नदी से दोगुना पानी स्टोर करने की क्षमता होती है. क्लाइमेट चेंज से ये नदियां लंबी, चौड़ी और अधिक खतरनाक हो गई हैं. इससे भारत में कुदरती तबाही का कहर बढ़ रहा है. हिमाचल से लेकर केरल तक भयंकर तबाही हुई है और इसका कनेक्शन एटमॉसफेरिक रिवर से जोड़कर देखा जा रहा है.
2023 में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1951 से 2020 यानि 49 साल के दौरान मॉनसून सीजन में 574 वायुमंडलीय नदियों वजूद में आई. 1985 और 2020 यानी 35 साल में 10 भयंकर बाढ़ की वजह एटमॉसफेरिक नदियां रहीं. चिंता की बात यह है कि समंदर के गर्म होने से आसमान में मौजूद इन विनाशकारी नदियों का कहर बढ़ा है. मॉनसून सीजन की सटीक भविष्यवाणी मुश्किल हो रही है. फ्लैश फ्लड और लैंडस्लाइड का कहर बढ़ता जा रहा है.