मध्य प्रदेश में भाजपा की नजर हारे हुए 20 फ़ीसदी बूथों पर

भोपाल:

मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को विधानसभा चुनाव और उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली है। इसके बावजूद राज्य में 20 फ़ीसदी ऐसे बूथ हैं जहां भाजपा पिछड़ी है। इन स्थानों पर जनाधार को बढ़ाना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है, लिहाजा पार्टी ने इसके लिए नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।

राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा को 230 सीटों में से 166 पर जीत मिली तो वहीं लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटों पर पार्टी ने फतह हासिल की। चुनाव नतीजे के बाद पार्टी ने समीक्षा बैठक की और उसमें यह बात खुलकर सामने आई कि 20 फ़ीसदी ऐसे बूथ हैं, जहां पार्टी को हार मिली है।

पार्टी प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने लोकसभा नतीजे के बाद तमाम पदाधिकारियों के साथ मंथन किया और उन्हें जमीनी फीडबैक जुटाने के निर्देश भी दिए।

लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद जमीनी स्थिति का आकलन किया जाए तो एक बात साफ होती है कि राज्य में 64,523 बूथ हैं, इनमें से भाजपा को 13 हजार बूथ पर बढ़त नहीं मिली। पार्टी ने विधानसभा चुनाव में जहां 166 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा को 200 से अधिक क्षेत्रों में कांग्रेस के मुकाबले बढ़त मिली। राज्य में पार्टी ने बूथ की मजबूती के लिए बूथ विस्तारक अभियान चलाया था। इसकी पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर सराहना भी की थी।

अब राज्य संगठन ने उन बूथों पर खास ध्यान केंद्रित किया है जहां लोकसभा चुनाव में हार मिली है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि जिन स्थानों पर पार्टी के हिस्से में हार आई है, वहां के बूथों के लिए खास रणनीति बनाई जाने वाली है। इसके लिए संबंधित इलाकों का पार्टी के वरिष्ठ नेता दौरा करेंगे, बैठकों में हिस्सा लेंगे और केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का आमजन को कितना लाभ मिला है, इसकी भी समीक्षा की जाएगी।

साथ ही यह कारण भी खोजे जाएंगे कि जब प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर पार्टी को जीत मिली है तो फिर इन बूथों पर हार क्यों हुई।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में भाजपा का संगठन देश के सबसे मजबूत संगठनों में से एक है। यहां पार्टी लगातार नवाचार करती है और यही कारण है कि यहां का संगठन कई मामलों में अन्य राज्यों के लिए मॉडल भी है। 20 प्रतिशत बूथ पर हार मिली है, उसे भी गंभीरता से लिया गया है। यह इस बात का संकेत है कि राज्य में चुनाव भले ही नजदीक न हों मगर पार्टी अपने जनाधार को बढ़ाने के लिए रणनीति बना रही है।

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