कोल्हापुर (महाराष्ट्र):
कांग्रेस सांसद छत्रपति श्रीमंत शाहू महाराज ने मंगलवार को राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा यहां आयोजित किसान विरोध मार्च का नेतृत्व किया। इसमें प्रस्तावित नागपुर-गोवा शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे का कड़ा विरोध किया गया।
मार्च में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद व सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महा विकास अघाड़ी गठबंधन के विधायक व स्वतंत्र किसान नेता शामिल थे। यह दशहरा चौक से कलेक्टर कार्यालय तक निकाला गया।
12 जिलों के हजारों प्रभावित किसान विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। इन जिलों से 86,500 करोड़ रुपये की लागत से 802 किलोमीटर लंबा अंतर-राज्यीय (महाराष्ट्र-गोवा) एक्सप्रेसवे गुजरेगा। इसे महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पसंदीदा परियोजना बताया जा रहा है।
मार्च का नेत्तृृृत्व करते हुए छत्रपति श्रीमंत शाहू महाराज ने कहा, जहां भी किसान हैं, मैं उनके साथ रहूंगा।
उन्होंने कहा कि वे एक्सप्रेसवे पर किसानों की चिंताओं को सरकार के समक्ष उठाएंगे।
उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, किसान इस परियोजना का कड़ा विरोध कर रहे हैं। हम उनका पूरा समर्थन करते हैं। हम कलेक्टर से मिलेंगे और इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे।
इससे पहले, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सांसद अशोक चव्हाण ने भी कहा कि अगर किसान एक्सप्रेसवे के पक्ष में नहीं हैं, तो उनकी कृषि भूमि की बलि देकर इसे नहीं बनाना चाहिए।
802 किलोमीटर लंबा शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे हिंगोली, नांदेड़, परभणी, उस्मानाबाद और बीड जिलों में उपजाऊ कृषि भूमि से होकर गुजरेगा।
यह मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख तीर्थस्थलों को जोड़ेगा। इससे धार्मिक पर्यटन और स्थानीय विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, लेकिन किसान समुदाय आशंकित है।
एक्सप्रेसवे तीन शक्तिपीठों – महालक्ष्मी, तुलजाभवानी और पत्रदेवी, औंधा-नागनाथ और परली-वैजनाथ में दो ज्योतिर्लिंग, माहुर, तुलजापुर, पंढरपुर में प्रमुख मंदिर और मार्ग में पड़ने वाले अन्य प्रमुख हिंदू तीर्थस्थलों को जोड़ेगा।
इस परियोजना को गति देते हुए, राज्य और जिला अधिकारियों ने हाल ही में इसके लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की है।
चार से पांच वर्षों में पूरा होने पर, प्रस्तावित शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे महाराष्ट्र के 12 जिलों और गोवा के एक जिले से होकर गुजरेगा। इसमें 26 इंटरचेंज, 30 सुरंगें, 48 पुल और आठ रेलवे क्रॉसिंग शामिल होंगे।
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