पुरानी किताब में क्या था?
वहीं अब इस अध्याय में 1528 में श्रीराम के जन्मस्थल पर तीन गुंबद वाले ढांचे की बात कही गई है. चैप्टर में बताया कि ढांचे में कई हिंदू चिन्ह थे. वहीं आतंरिक और बाहरी दीवारों पर मूर्तिया थीं. पुरानी किताब में दो पेज में यही कहा गया था कि फैजाबाद जिला अदालत की ओर से मस्जिद को खोलने का निर्णय लिया गया. इसके बाद से यहां पर कई घटनाक्रम हुए. 1992 में राम मंदिर बनाने को लेकर रथयात्रा निकाली गई और कार सेवकों की वजह से तनाव देखने को मिला. वहीं 1993 में सांप्रदायिक दंगे हुए.
नई किताब में क्या है बदला?
नई किताब में बताया गया है कि 1986 में फैजाबाद जिला अदालत ने तीन गुंबद वाले ढांचे को खोलने का आदेश दिया. लोगों को पूजा की इजाजत मिल गई. ऐसा कहा जा रहा था कि इन तीन गुंबद वाले ढांचे को भगवान राम के जन्म स्थान पर बनाया गया है.
न्यूज पेपर की कटिंग की तस्वीरें लगाई गई थीं
नई किताब में अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को शामिल किया गया. इसमे बताया गया कि 9 नवंबर 2019 को कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने निर्णय सुनाया कि यह भूमिका मंदिर की है. पुरानी किताब में न्यूज पेपर की कटिंग की तस्वीरें लगाई गई थीं. इसमें बाबरी ढहाने के बाद कल्याण सिंह सरकार को हटाने का आदेश शामिल था. इसे अब हटाया गया है. 2014 के बाद से यह चौथी बार है कि एनसीईआरटी की किताब को बदला गया है. अप्रैल में एनसीईआरटी ने कहा था ताजा घटनाक्रम के आधार पर चैप्टर में परिवर्तन किया गया है. नई जानकारी में इसमें शामिल किया गया.