छत्तीसगढ़ में महिला ने फर्श पर दिया बच्चे को जन्म, हाईकोर्ट बोला- स्थिति बहुत खेदजनक है

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छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के एक स्वास्थ्य केंद्र में महिला द्वारा फर्श पर बच्चे को जन्म देने के मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य सचिव से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने कहा कि अगर यह स्थिति अंबिकापुर के उप-स्वास्थ्य केंद्र की है, तब यह स्थिति बहुत ही खेदजनक है। इस मामले की अगली सुनवाई 14 जून को होगी।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की पीठ ने इस मामले में 10 जून को एक समाचार पत्र में छपी रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया था कि यह घटना 8 जून को नवानगर SHC (उप-स्वास्थ्य केंद्र) में डॉक्टरों और नर्सों की अनुपस्थिति में हुई थी।

अखबार के मुताबिक 25 वर्षीय एक गर्भवती महिला ने आठ जून को सरगुजा जिले के नवानगर उप-स्वास्थ्य केंद्र में बिना किसी डॉक्टर या नर्स की उपस्थिति में फर्श पर अपने बच्चे को जन्म दिया था। प्रसव पीड़ा होने पर यह महिला मितानिन (सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) के साथ उप-स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थी, लेकिन वहां न तो कोई डॉक्टर था और न ही कोई नर्स । महिला को उप-स्वास्थ्य केंद्र के फर्श पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा था।

अखबार के मुताबिक परिवार के सदस्यों ने चिकित्साकर्मियों से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। आखिरकार मितानिन ने महिला को बच्चे को जन्म देने में मदद की। खबर के मुताबिक प्रसव के बाद की देखभाल भी गांव की पारंपरिक दाई द्वारा की गई थी क्योंकि स्वास्थ्य केंद्र में केवल एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही उपलब्ध था। समाचार में यह भी बताया गया कि यह पहला अवसर नहीं था, जब ऐसी घटना हुई हो।

इस घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि यह स्थिति उप-स्वास्थ्य केंद्र, नवानगर, अंबिकापुर की है, तब यह बहुत ही खेदजनक स्थिति है। हाई कोर्ट ने कहा कि जब सरकार राज्य के दूरदराज के इलाकों में रहने वाली जनता को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए भारी-भरकम राशि खर्च कर रही है तब स्वास्थ्य केंद्रों का प्रबंधन करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी स्वयं वहां उपस्थित नहीं हैं, जबकि वहां उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

उच्च न्यायालय ने कहा है कि ऐसी अवस्था में राज्य सरकार को कुछ कड़े कदम उठाने चाहिए। राज्य शासन की तरफ से इस मामले में कहा गया कि इस घटना से संबंधित चिकित्सा अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

खंडपीठ ने सोमवार को सुनवाई के बाद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सचिव को निर्देश दिया है कि वह घटना के संबंध में उठाए गए कदमों के संबंध में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर करें तथा सुनिश्चित करें कि इस घटना का जो वीडियो ऑनलाइन वायरल किया गया है, उसे और आगे प्रसारित करने से भी तत्काल रोका जाए।

यह घटना आठ जून को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नवानगर में हुई थी और अगले दिन संबंधित क्षेत्र के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर पी एन राजवाड़े को अपने कर्तव्यों को निभाने में पहली नजर में लापरवाह पाए जाने पर निलंबित कर दिया गया था।