नंदेली। खरसिया विधायक उमेश पटेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 से ई-वे बिल के मामले में जो छूट दिया गया था उसके नयी सरकार ने 24 मई 2024 को अधिसूचना जारी कर समाप्त करने का फैसला लिया है जो छत्तीसगढ़ के छोटे-बड़े व्यापारी के साथ अन्याय है।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में 50 हजार से अधिक के सामान पर ई-वे बिल नहीं लगता था (केवल 15 वस्तुओं को छोड़कर) लेकिन अब 50 हजार से अधिक के सामान पर ई-वे बिल लगेगा। राज्यभर में करीब 2 लाख छोटे व्यापारी हैं, जो 50 हजार या उससे ज्यादा का सामान एक जिले से दूसरे जिले में ई-वे बिल नहीं होने पर माल की कीमत के बराबर पैनाल्टी या टैक्स के दोगुने के बराबर जुर्माने का प्रावधान है। अब उन्हें ई-वे बिल जनरेट करना होगा। इससे उनकी परेशानी बढ़ेगी।
50 हजार से या उससे ज्यादा का सामान अधिकतर बार छोटे मालवाहकों, बसों या 407 में भेजा जाता है। जीएसटी के अफसर अब इन सभी गाड़ियों को रोककर ई-वे बिल की जांच करेंगे। इस वजह से इस फैसले का ट्रांसपोर्ट वालों ने भी विरोध शुरू कर दिया है। उनका आरोप है कि जीएसटी के जांचकर्ता बिल के नाम पर गाड़ी मालिकों को बेहद परेशान करते हैं। अनाप-शनाप टैक्स की वसूली की जाती है।
खरसिया के विधायक उमेश पटेल ने आगे कहा कि इससे इंस्पेक्टर राज की वापसी हो जाएगी एवं छोटे-बड़े व्यापारियों को टैक्स के नाम पर अकारण परेशान किया जाएगा तथा अवैध उगाही का आशंका बना रहेगा। सरकार का ई-वे बिल छूट से संबंधित पूर्व अधिसूचना को यथावत रखा जाना चाहिए तथा ई-वे बिल से संबंधित मिलने वाले वस्तुओं छूट और ई-वे बिल की संख्या एवं अनुपालन से संबंधित जटिलताओं पर विस्तृत रूप से चर्चा करना चाहिए और वर्ष 2018 में दी गयी ई-वे बिल छूट को यथावत रखना चाहिए।