नई दिल्ली:
चार साल की उम्र में गंभीर मोटापे से ग्रस्त बच्चे का वजन यदि कम नहीं होता है तो उसकी जीवन प्रत्याशा महज 39 साल हो सकती है जो औसत की तुलना में लगभग आधी है। एक शोध में यह बात सामने आई है।
हालांकि शोध में कहा गया है कि वजन कम करके जीवन प्रत्याशा बढ़ाई जा सकती है।
इटली के वेनिस में यूरोपियन कांग्रेस ऑन ओबेसिटी (ईसीओ) में प्रस्तुत शोध में पहली बार मोटापे की शुरुआत की उम्र, गंभीरता और अवधि के प्रभाव का अध्ययन किया गया है।
जर्मनी के म्यूनिख में लाइफ साइंसेज कंसल्टेंसी स्ट्राडू जीएमबीएच के डॉ. उर्स विडेमैन ने कहा, जल्द शुरू होने वाले मोटापे के मॉडल से पता चलता है कि वजन घटाने का जीवन प्रत्याशा और अन्य बीमारियों के साथ मिलकर मौत का कारण बनने की संभावना पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, खासकर जब शुरू में ही वजन कम कर लिया जाता है।
डॉ. विडेमैन ने कहा, यह स्पष्ट है कि बचपन के मोटापे को जानलेवा बीमारी माना जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप या अन्य चेतावनी संकेत विकसित होने तक इंतजार करने की बजाय उपचार जल्दी शुरू किया जाए।
शोधकर्ताओं ने मोटापा और उससे जुड़ी अन्य बीमारियों जैसे टाइप 2 मधुमेह, हृदय संबंधी बीमारियों और फैटी लीवर के 50 क्लीनिकल अध्ययनों के आंकड़ों के आधार पर जल्द शुरू होने वाले मोटापे का मॉडल विकसित किया।
अध्ययन में दुनिया भर के देशों के एक करोड़ से अधिक मरीजों के आंकड़ों को शामिल किया गया, जिनमें से लगभग 27 लाख की आयु दो से 29 वर्ष के बीच थी।
नतीजों से यह भी पता चला कि 3.5 के बॉडी मास इंडेक्स (जो गंभीर मोटापे का संकेत देता है) वाला चार साल का बच्चा जिसका वजन ज्यादा है, उसे 25 साल की उम्र तक मधुमेह होने का खतरा 27 प्रतिशत और 35 साल की उम्र तक मधुमेह का खतरा 45 प्रतिशत होता है।
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