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छत्तीसगढ़ में बेहद ही चर्चित मामला रामावतार जग्गी हत्याकांड मामले को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। ममाले में आरोपी याह्या ढेबर ने रायपुर कोर्ट में खुद को सरेंडर कर दिया है। बतादें कि याह्या ढेबर रायपुर के महापौर कांग्रेस पार्टी के नेता एजाज ढेबर के भाई है। जग्गी हत्याकांड मामले में हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों की सजा को बरक़रार रखा था, इस सजा के बाद मामले में आरोपी याहया ढेबर ने सुप्रिम कोर्ट के माध्यम से तीन हफ्ते की राहत मांगी थी। अब समय खत्म होने के बाद आरोपी याह्या ढेबर ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया है।
छत्तीसगढ़ की पहली राजनीतिक हत्या जग्गी हत्या कांड को लेकर सभी आरोपियों ने कोर्ट से राहत मांगी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस केस के सभी आरोपियों में से आरसी त्रिवेदी, वीके पांडे, अमरीक सिंह गिल, सूर्यकांत तिवारी और याह्या ढेबर को सरेंडर करने के लिए तीन हफ्ते अतिरिक्त समय दिया था। इस मामले में पहले ही दो आरोपी जोकि शूटर थे थे उन्होने 15 अप्रैल को कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। जिन दो शूटरों ने सरेंजर किया था उनमें शूटर विनोद सिंह राठौर और चिमन सिंह शामिल था।
हाईकोर्ट ने मामले में सजा रखी थी बरकार
इस पूरे मामले में हाईकोर्ट में फिर सुनवाई की गई थी। जिसके बाद कोर्ट ने 4 अप्रैल को फैसला सुनाते हुए सजा को बरकार रखा था। हाईकोर्ट ने एनसीपी नेता रामावतार जग्गी के हत्या के मामले में आरोपियों की अपील को खारिज करते हुए 28 आरोपियों की उम्रकैद की सजा को बरकार रखा था। हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद वर्मा की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए सभी 28 आरोपियों की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था। आजीवन कारावास की सजा पाने वालों में दो तत्कालीन सीएसपी और एक तत्कालीन थाना प्रभारी के अलावा याहया ढेबर और शूटर चिमन सिंह भी शामिल हैं।
साल 2003 में हुई थी एनसीपी नेता जग्गी की हत्या
छत्तीसगढ़ में राजनीतिक हत्या का यह पूरा मामला 4 जून 2003 का है। जब छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नेता रामावतार जग्गी की गोली मारकर हत्या की गई थी। इस पूरे हत्याकांड में पुलिस ने 31 लोगों को आरोपी बनाया था। जिसमें पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी का भी नाम शामिल था। वही बुल्ठू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे। इन आरोपियों में से एक अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी।