Vande Metro Train: जल्द शुरू होने वाली है वंदे मेट्रो ट्रेन, इंटरसिटी की तरह यात्रियों को मिलेंगी सुविधा

नई दिल्ली:

Vande Metro Train: जल्द ही देश में वंदे मेट्रो ट्रेन दौड़ती नजर आएंगी. इन ट्रेनों के शुरू होने से रोजाना यात्रा करने वाला यात्रियों को काफी सुविधा होगी. क्योंकि ये ट्रेन इंटरसिटी की तर्ज पर चलाई जाएंगी. यानी ये ट्रेन अपने रूट में पड़ने वाले ज्यादातर स्टेशनों पर रुक कर चलेंगी. फिलहाल वंदे भारत मेट्रो ट्रेन के निर्माण का काम तेजी से चल रहा है. शुरुआत में वंदे भारत मेट्रो ट्रेन का संचालन 124 शहरों को आपस में जोड़ने के लिए किया जाएगा. इस बारे में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पहली वंदे मेट्रो ट्रेन जुलाई से पटरी पर दौड़ने लगेगी. शुरू में इसे परीक्षण के तौर पर दो-तीन महीने तक चलाया जाएगा. उसके बाद इसे अन्य रूट्स पर भी संचालित किया जाएगा.

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अब तक बन चुकी 50 वंदे मेट्रो ट्रेन

हालांकि अभी तक इन ट्रेनों को किन-किन रूट पर परीक्षण के लिए चलाया जाएगा. ये पता नहीं चला है. जल्द ही रेलवे इन ट्रेनों के परीक्षण के लिए रूट तय कर लेगा. अब तक 50 वंदे भारत ट्रेनें बनकर तैयार हो चुकी है. परीक्षण के बाद 400 अतिरिक्त वंदे मेट्रो ट्रेनों का ऑर्डर दिया जाएगा. इन ट्रेनों का संचालन अगले दो से चीन सालों में शुरू कर दिया जाएगा. वहीं वंदे मेट्रो ट्रेनों में कोच की संख्या जरूरत के हिसाब से तय की जाएगी.

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वंदे भारत मेट्रो ट्रेन में होंगे कितने डिब्बे?

अगर बात करें वंदे भारत मेट्रो ट्रेनों के कोच की तो रेलवे इन ट्रेनों में चार, पांच, 12 और 16 कोच होंगे. हालांकि जिस रूट पर यात्रियों की संख्या ज्यादा होगी उन रूट पर चलने वाली वंदे मेट्रो ट्रेनों में कोच की संख्या 16 होगी. जबकि जहां कम से कम यात्री होंगे वहां चार कोच की ट्रेन का संचालन किया जाएगा. पहली स्वदेशी सेमी-हाई स्पीड वंदे मेट्रो को इंटरसिटी की तर्ज पर चलाया जाएगा. ये ट्रेन उन शहरों को जोड़ेगी जो अधिकतम ढाई सौ किमी के फासले पर स्थित होंगे.

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वेटिंग समस्या हो जाएगी खत्म

इन ट्रेनों की अधिकतम रफ्तार 130 किमी प्रति घंटा होगी. जबकि किराया सामान्य रखा जाएगा. रेलवे इन ट्रेनों के संचालन से 2031-32 तक वेटिंग की समस्या को खत्म करने की है. रेल मंत्री के मुताबिक, कोच, लोको और पटरियों के निर्माण का काम जब पूरा हो जाएगा, तब ट्रेनों में वेटिंग की समस्या खत्म हो जाएगी. इसमें कम से कम सात से आठ साल का वक्त लगेगा. यानी 2031-32 तक ट्रेनों में वेटिंग समस्या को खत्म कर दिया जाएगा.