नई दिल्ली:
छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंह देव ने आईएएनएस से खास बातचीत में कांग्रेस के घोषणा पत्र में ओपीएस (ओल्ड पेंशन स्कीम) के नहीं होने के सवाल पर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने भाजपा के घोषणा पत्र भी जमकर निशाना साधा और उसे एक व्यक्ति पर केंद्रित बता दिया।
उन्होंने ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) को लेकर कहा कि हां, इसे छत्तीसगढ़ में भी अपनाया गया। लागू भी कर दिया था हमने। नई गवर्नमेंट पता नहीं क्या करेगी, उसको वापस लेगी या आगे बढ़ाएगी। हिमाचल में भी कांग्रेस की गवर्नमेंट ने इसे अपनाया है। इसमें थिंकिंग की आवश्यकता है कि कांग्रेस के मेनिफेस्टो में इसे शामिल नहीं किया गया है, लेकिन इससे इनकार नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि इसमें कई अर्थशास्त्री हैं। रघुराम राजन से भी इस दरम्यान मेरी चर्चा हुई। अन्य बहुत सीनियर लोग हैं, उनसे भी चर्चा हुई। जो अर्थशास्त्री हैं, उनसे भी इस मामले में चर्चा हुई। पी. चिदंबरम साहब स्वयं जो इस समिति के अध्यक्ष थे, वह स्वयं बड़े अर्थशास्त्री माने जाते हैं। तो इसमें विचार यही आया कि जब इस पॉलिसी को लाया गया था तो यह विचार था कि यह सहन नहीं कर पाएगा।
उन्होंने आगे कहा, जो गवर्नमेंट का स्ट्रक्चर है, ओपीएस को उसका जो खर्चा है, उसको सहन नहीं कर पाएगा और उस कारण से न्यू पेंशन स्कीम लागू की गई। लेकिन जो कर्मचारी थे, जो पहले स्वयं सहमत थे कि नहीं, हम सहमत हैं। हम नई पेंशन स्कीम में जाएंगे। अब उनको लग रहा है कि यह तो गड़बड़ हो गई पुरानी पेंशन स्कीम में… उदाहरण के लिए मृत्यु के बाद उनकी पत्नी को पांच साल तक पेंशन मिलता है। नई पेंशन स्कीम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। ओल्ड पेंशन स्कीम में लगातार आपको पेंशन की राशि जीवन काल में मिलती है। इसमें एकमुश्त एक राशि मिलती है और उसके बाद नहीं मिलती है तो कई बातें हैं जो कर्मचारियों ने महसूस की कि हमने हां तो कह दिया उस समय लेकिन हम बहुत नुकसान में हैं, हमको बहुत घाटा है।
टीएस सिंह देव ने कहा, इसके साथ ही अच्छा टैलेंट आए, ऐसा ना हो कि सरकारी नौकरी में अच्छा टैलेंट ना आए। वह प्राइवेट सेक्टर में चला जाए कि प्राइवेट सेक्टर में ज्यादा तनख्वाह मिल रही है या जो भी परिस्थिति बेहतर समझी जाए। इन सारी बातों को लेकर ओपीएस के लिए हमने छत्तीसगढ़ में भी विचार किया था और लागू किया था। लेकिन, नेशनल लेवल पर इसमें विचार यही है कि इसको स्टडी करके फिर अपनाने की बात आई।
उन्होंने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि वह भाजपा के घोषणा पत्र को लेकर ज्यादा खुश नहीं हैं। वह भी एक कांग्रेसी होने के नाते नहीं, बल्कि देश के एक नागरिक होने के नाते मैं बहुत निराश हुआ। भारतीय जनता पार्टी ने जो अपना मेनिफेस्टो रिलीज किया है, उसमें नई बात कुछ भी नहीं दिखी। यह तो मोदी मेनिफेस्टो हो गया। मोदी की गारंटी, मोदी की गारंटी बस यही नजर आ रहा है। मतलब मुझे तो लगा कि जो पार्टी अपने आप को कहती है कि हम दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल हैं, उसका अस्तित्व मिट गया है। यानी मैं कांग्रेसी होने के नाते तो खुश हूं कि बीजेपी तो साहब एक व्यक्ति पर आ गई। यह व्यक्ति नहीं रहे तो बीजेपी खत्म। देश में सोचिए जो पार्टियां एक साथ आ रही हैं, उसके पीछे कारण क्या है?
उन्होंने आगे कहा, सारी चीज देश में एक व्यक्ति के इर्द-गिर्द में समेटी जा रही है। यह बहुत खतरनाक संकेत प्रजातंत्र के लिए होता है। कई बार ऐसी स्थितियों से परिस्थिति कहीं की कहीं चली जाती और जिस तरह से ईडी इत्यादि का दुरुपयोग हो रहा है, यह सारी चिंताएं उसी दिशा में हैं और उन्हीं कारणों से जो दल अलग-अलग पहले थे, आमने-सामने टकराव की स्थिति में दिखते थे। उन्होंने साथ आने का निर्णय किया। भाजपा पहले जो घोषणा कर चुकी है, उसी चीज का इस नए घोषणा पत्र में भी उल्लेख है तो कोई नई चीज मुझे नहीं दिखी। कोई विजन की जो बात होती है कि हां, हम आएंगे तो हम ऐसा करेंगे। इसके विपरीत कांग्रेस के घोषणापत्र में देखिए एक विजन है, जो 1 लाख रुपए की बात आपने कही। यह महिलाओं को 1 लाख रुपए देने की बात नहीं है।
टीएस सिंह देव ने कहा, इससे देश के हर परिवार को कम से कम 1 लाख रुपए की आमदनी तो मिलेगी। यह नीति है, इस नीति को लागू करने के लिए महिला सशक्तीकरण के माध्यम से घर की जो प्रमुख महिला रहेंगी, उनके खाते में पैसा जाएगा। तो जो नीति है, एक विजन है कांग्रेस पार्टी का कि देश में कोई भी परिवार ऐसा नहीं रहेगा, जिनकी आमदनी 1 लाख रुपए से कम होगी। यह क्लियर विजन दिख रहा है बेसिक इनकम का, जिससे हम उस दिशा में देश को ले जाना चाह रहे हैं, हम बढ़ाना चाह रहे हैं।
उन्होंने रेलवे में सुधार और बुलेट ट्रेन के 2026 तक परिचालन शुरू करने के भाजपा के दावे के सवाल पर आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि अभी तो हम लोग इस बात से जूझ रहे हैं कि महीनों से हमारी ट्रेनें रद्द हो रही हैं। बहुत लेट चल रही हैं और अभी मैंने तीन चार दिन पहले न्यूज़ देखा था, अखबार में पढ़ा था कि कितनी 50 से 60 ट्रेनें अभी रद्द कर दी गई हैं। आज क्या हो रहा है, उसको तो देखिए। बड़ी-बड़ी बातें की जा रही है। बुलेट ट्रेन की बात हो रही है। यानी सिर्फ गंदी भाषा में कहें तो थूक पॉलिश हो रहा है। चमका-चमका के दिखाओ वाला काम चल रहा है। लोगों का ध्यान वास्तविकता से भटकाकर और किसी तरह से उनका मत ले लो।
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