रायगढ़ में भाजपा और कांग्रेस, प्रतिबद्ध वोटों के सहारे निर्दलीय और असन्तुष्ट दोनों दलों को पहुँचा रहे चौतरफा नुकसान

  • अनिल पाण्डेय, वरिष्ठ पत्रकार

रायगढ़। रायगढ़ में राजनैतिक मौसम तेजी से बदलने लगा है लेकिन आसमान पर छाए बादलों को देखकर यह सटीक अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है कि ये बरसेंगे या फिर गरजकर बिना बरसे ही चले जायेंगे।अपने अंतर्विरोधों से और गुटबाजी के चलते रायगढ़ में कांग्रेस अपने 2018 के प्रदर्शन को 2023 में दोहरा पाते हुए वोटों में वृद्धि करती है तो यह उसके लिए बहुत बडीं उपलब्धि होगी ।रायगढ़ सीट पर ,भाजपा के साथ साथ निर्दलीय भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे हैं। टिकट वितरण के बाद उपजे असन्तोष से भाजपा और उसके प्रत्याशी ओपी चौधरी ने नुकसान की भरपाई के लिए आपरेशन डैमेज कंट्रोल चला कर एक हद तक अपना घर सुरक्षित कर लिया है, इसके अलावा निर्दलीयों की वजह से उसे जो नुकसान पहुंचने की संभावना है उसकी भरपाई वह कांग्रेसी वोटों को तोड़कर अपने पाले में लाने की राह पर भी चल पड़ी है। जिस तरह से रोज लोग भाजपा में प्रवेश कर रहे हैं वो इस बात का जरूर संकेत देता है।

दूसरी तरफ कांग्रेस यह मानकर चल रही है कि टिकट वितरण के कारण भाजपा से नाराज चल रहे वोटों का पूरा फायदा उसकी झोली में गिरेगा और उसकी जीत की राह आसान हो जाएगी तो थ्योरी और प्रेक्टिकल के दौरान जो अंतर आता है उसी अंतर का सामना उसे करना पड़ेगा ,इसी के साथ जोगी कांग्रेस के उम्मीदवार और आप पार्टी भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली है। ग्रामीण क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने की आस लगाए बैठी कांग्रेस 2023के चुनाव में पहली बार रायगढ़ शहर में चौतरफा नुकसान झेलने की कगार पर पहुँचती दिखाई दे रही है ।कांग्रेस नुकसान की इस आशंका को दरकिनार करते हुए पूरी तरह से अपने प्रतिबद्ध मतदाता के ऊपर विश्वास कर रही है कि 2008 और 2013, 2018 के चुनाव में जिस तरह से उसे शहर में वोट मिले थे उसकी पुनरावृति 2023 में भी होगी। इसकी उम्मीद वह पहले से ही कर रही है

कांग्रेस के उम्मीदवार प्रकाश नायक अपनी मेहनत से जरूर इस बात का प्रयास कर रहे हैं कि वह रायगढ़ में कांग्रेस के पुराने दौर को वापस ला सकें ,उनके यह प्रयास कितने सफलीभूत होंगे वो इस बात पर भी निर्भर करेगा कि भाजपा के चुनावी महारथियों द्वारा बनाये गए चुनावी व्यूह रचना को रायगढ़ नगर में उनके मुकाबले कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार और उनकी टीम इसे भेद पाने में कितना सफल हो पाती है ।
फिलहाल रायगढ़ के चुनावी मैदान में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे का संघर्ष हो रहा है वहीं निर्दलीय और अन्य दलों के उम्मीदवारों ने चुनाव को दिलचस्प ,संघर्षपूर्ण और रोचक बना दिया है ।इस सबके बावजूद चुनावी मैदान में ऊँट अभी भी खड़ा हुआ ही है।

भाजपा के टिकट वितरण से असंतुष्ट होकर बगावत करते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वाली जिला पंचायत सदस्या गोपिका गुप्ता और कांग्रेस के बगावती उम्मीदवार शंकर लाल अग्रवाल अपने -अपने लाव-लश्कर के साथ चुनाव प्रचार में पूरी ताकत और ऊर्जा के साथ डटे हुए है ।ये माना जा रहा है कि ये दोनों उम्मीदवार भाजपा के साथ साथ कांग्रेसी वोटों में सेंधमारी करते हुए दोनों को अच्छा खासा नुकसान पहुंचा सकते है इसलिए लोगों में चर्चा का विषय यह बना हुआ है कि दोनों कितना कितना वोट प्राप्त कर सकते हैं। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गोपाल बापोड़िया भी चुनाव प्रचार में पसीना बहा रहे हैं तो जेसीसीजे से उम्मीदवार रायगढ़ की पूर्व मेयर मधु किन्नर भी अपने तरीके से चुनाव प्रचार करते हुए वोट मांग रही है। किसे कितना वोट मिलेगा यह अनुमान लगाना टेढ़ी खीर है जो होगा उस बारे में 3 दिसम्बर को ही पता चलेगा लेकिन तब तक कयास और अटकल बाजियों का बाजार गर्म रहेगा तथा दावे और प्रतिदावे होते रहेंगे।