भारतीय उच्चायुक्त को गुरुद्वारे में जाने से रोकना खालिस्तानियों को पड़ेगा भारी, ऐक्शन में ब्रिटिश सरकार

ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोराईस्वामी को स्कॉटलैंड के एक गुरुद्वारे में जाने से रोकना खालिस्तानी समर्थकों को भारी पड़ सकता है। भारत द्वारा मामले में नाराजगी जताए जाने के बाद ब्रिटिश सरकार ऐक्शन लेने की तैयारी कर रही है। पूरे मामले को ब्रिटिश सरकार ने काफी गंभीरता से लिया है और भारत को साफ किया है कि अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोराईस्वामी को स्कॉटलैंड के ग्लासगो में दो खालिस्तानी कट्टरपंथियों ने एक गुरुद्वारे में प्रवेश करने से रोक दिया था। इस घटना के सामने आए एक वीडियो में देखा जा सकता है कि एक खालिस्तानी समर्थक दोराईस्वामी को अल्बर्ट ड्राइव पर ग्लासगो गुरुद्वारे में प्रवेश करने से रोकने की कोशिश कर रहा है।

न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा, ”पुलिस समय पर मौके पर पहुंच गई और ब्रिटेन ने भारत को अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया। ब्रिटेन में गुरुद्वारे भारतीय राजनयिकों और भारतीय समुदाय का बहुत स्वागत करते हैं। केवल कुछ कट्टरपंथी लोग इसे सोशल मीडिया पर लोकप्रियता हासिल करने और खुद को इस उद्देश्य के लिए साबित करने के अवसर के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं।” घटना के बाद भारत ने ब्रिटेन के विदेश कार्यालय के समक्ष राजनयिकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। सूत्रों ने कहा कि ब्रिटेन में गुरुद्वारा समितियों में भारतीय राजनयिकों के लिए बहुत अच्छी समझ और पारस्परिक सम्मान है और उच्चायुक्त वहां नियमित तौर पर आते भी हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि वीडियो में दिख रहे दो कट्टरपंथी व्यक्ति गुरुद्वारा समिति का हिस्सा नहीं हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने आगे कहा, ”ग्लासगो में गुरुद्वारा ने एक समारोह के लिए उच्चायुक्त दोराईस्वामी को आमंत्रित किया, लेकिन किसी तरह इन दो कट्टरपंथी लोगों को इसके बारे में पता चला गया। दो कट्टरपंथी व्यक्तियों का गुरुद्वारा प्रशासन से कोई लेना-देना नहीं था। उच्चायुक्त गुरुद्वारे में जाकर समारोह को खराब नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने कार से नहीं उतरने का फैसला किया। सूत्रों ने कहा कि भारतीय दूत के जाने के बाद भी, गुरुद्वारा अधिकारियों ने उनसे वापस आने का अनुरोध किया, लेकिन सुरक्षा कारणों के चलते दोराईस्वामी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से आगे बताया गया है कि ब्रिटेन की स्थिति कनाडा से काफी अलग है। कनाडा ने कभी भी भारतीय पक्ष की चिंताओं को गंभीरता से नहीं लिया, जबकि ब्रिटेन ने पहले दिन से ही इन समूहों के खिलाफ कार्रवाई की है और मामले को गंभीरता से लिया है।