खरसिया : पुलिस अधिकारियों के नए तैनाती पर उनके ना जाने से कुछ लोगों को भारी कष्ट! उनके पेट में क्यों हो रहा मरोड़?

खरसिया। आज गैरकानूनी कार्यों में लिप्त एक तबके के आगे जिसमें चंद खुद को पत्रकार कहे जाने वाले पत्रकारों की भी अहम भूमिका है उनके लिए स्थानांतरित अधिकारी आंख की किरकिरी बन गए हैं और जिससे उनको बहुत अधिक कष्ट है क्योंकि यही वे लोग हैं जो समाज में व्याप्त बुराइयों के कर्णधार है। हर जरायम पेशे में इनका सहयोग एवं हिस्सा रहता है, यही लोग अक्सर व्यवस्था के लिए और अधिकारियों के लिए समस्याएं उत्पन्न करते रहते हैं। असामाजिक तत्वों के क्रियाकलापों में मीडिया के भी कुछ जयचंदो की अहम भूमिका रहती है और प्राप्त सूत्रों के अनुसार गैर कानूनी कार्य से होने वाली आय में इन चंद पत्रकारों की भी हिस्सेदारी रहती है।

तो जाहिर सी बात है कि स्थानांतरित अधिकारियों पुलिसकर्मियों के यहां से न जाने से इन्हें समस्या तो होना ही चाहिए क्योंकि इन्होंने समाज का ठेका जो ले रखा है, और किसी का भी नुकसान होगा तो जाहिर सी बात है कि कष्ट तो होगा ही। एक समय था जब उन इलाकों में कोई अच्छा अधिकारी जाने के लिए तैयार नहीं होता था जहां अव्यवस्थाएं सिर चढ़कर बोला करती थी परंतु परिस्थितियां बदली और कुछ जांबाज़ अधिकारी आए और उन्होंने परिभाषा ही बदल बदल कर रख दिया बस यहीं से कुछ समाज विरोधी तत्व ईमानदार लोगों के हर कार्य को चाहे वह सही ही क्यों ना हो उस पर छींटाकशी करते रहे ,अच्छे कार्यों में भी उन्हें बुराई दिखाई देती है और वे गला फाड़ फाड़कर चिल्लाने लगते हैं और अधिकारियों के अच्छे कार्यों को भी समस्याओं का रूप देने लगते हैं।

दे भी क्यों ना? उनके लिए तो उक्त पुलिस अधिकारी किसी समस्या से कम नहीं थे क्योंकि उनके सभी गलत काम रोक दिए गए थे, उनकी आय के स्त्रोत बैंड हो गए थे यही कारण है कि उक्त अधिकारियों का आज जब तबादला हो गया है तब उनको एक अवसर मिल गया है उंगली उठाने का, ताकि वह जल्दी से नई तैनाती पर जाएं और उनका गोरख धंधा जो बंद हो गया था पुनः शुरू हो जाए पुनः जुए की फड़े सजने लगें, देह व्यापार, अवैध मादक पदार्थ की खरीद-फरोख्त शुरू हो जाए आदि-आदि।

इसलिए मेरा तो मानना है कि उक्त अधिकारियों को अभी उनके कार्य क्षेत्र में कुछ और समय के लिए रोका जाए ताकि क्षेत्र में कानून का राज स्थापित हो सके और असामाजिक तत्व अपना फन ना फैल सकें। हमने समाज के बुद्धिजीवी वर्ग का जब विचार जानना चाहा तो उनका भी मानना था कि उक्त ईमानदार अधिकारियों को अभी कुछ समय तक और रोका जाना चाहिए ताकि अपराध पर अंकुश लगाया जा सके।