राहुल के INDIA वाले दांव से BJP को होगी दिक्कत, 2024 से पहले समझें इस नामकरण की कहानी

  • 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष की ओर से नए गठबंधन का नाम तय
  • विपक्षी दलों का नया गठबंधन यूपीए नहीं ‘INDIA’ के नाम से जाना जाएगा
  • बेंगलुरु में बैठक के बाद नाम की घोषणा, नया नाम राहुल गांधी का आइडिया

नेशनल डेस्क। विपक्षी दलों की ओर से नए गठबंधन का नाम तय कर दिया गया है। अब UPA ‘INDIA’में बदल गया है। बेंगलुरु में इसका ऐलान किया गया है। यानी 2024 में अब एनडीए बनाम इंडिया का मुकाबला देखने को मिलेगा। नाम नया होगा तो वहीं बीजेपी के लिए भी राहुल गांधी ने मुश्किलें पैदा कर दी हैं। मंगलवार बेंगलुरु की बैठक में इस नाम पर मुहर लगी। विपक्ष के नए गठबंधन का नाम ‘INDIA’ रखा गया है। NDA के सामने विपक्ष की ओर से ‘INDIA’बना है। विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’जहां I से इंडिया, N से नेशनल, D से डेवलपमेंट , I से इनक्लूसिव और A से अलायंस होगा। नाम फाइनल होते ही विपक्ष की ओर से ट्वीट किया गया।

ममता की पार्टी के सांसद ने ट्वीट करते हुए लिखा चक दे इंडिया, वहीं उद्धव ठाकरे की पार्टी की ओर से ट्वीट किया गया इस बार 2024 में टीम INDIA Vs टीम NDA चक दे इंडिया। बैठक से पहले यह चर्चा थी कि विपक्ष के गठबंधन का नाम UPA (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) रहेगा या कुछ और। हालांकि पटना वाली बैठक से यह संकेत मिल गए थे कि नाम अलग होगा। विपक्ष की ओर से इस नाम का आइडिया कहां से आया और उसके पीछे की आखिर क्या कहानी है। इस नाम के पीछे राहुल गांधी का आइडिया था। यदि देखा जाए तो आने वाले वक्त में राहुल के ‘INDIA’ वाले दांव से बीजेपी को दिक्कत होने वाली है।

‘INDIA’के पीछे आइडिया राहुल गांधी का माना जा रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से जिस प्रकार से बयान पिछले दिनों से लगातार सामने आ रहे थे उसमें इसकी छाप है। विपक्ष के गठबंधन का नामकरण भले ही आज हुआ है लेकिन नाम की कल्पना काफी पहले ही हो चुकी थी। ‘INDIA’नाम के पीछे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का काफी योगदान है। राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाली गई।

इस यात्रा को लेकर कांग्रेस की ओर से कहा गया कि भारत जोड़ो यात्रा ने बहुत अंतर पैदा किया है। भारत जोड़ो यात्रा में लगभग 3,000 किलोमीटर की दूरी तय की गई थी। यात्रा के दौरान राहुल गांधी बार-बार यह कहते थे कि भारत जोड़ने निकले हैं। यात्रा के बाद उनकी ओर से कई बार यह कहा गया कि नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल रहा हूं। ऐसा नहीं कि इस नाम के पीछे सिर्फ यही सोच है। एक दूसरी सोच भी है जिसका असर आज ही बेंगलुरु वाली बैठक में दिख गया।

नाम के पीछे की क्रोनोलॉजी समझिए
एक ओर जहां बीजेपी के एजेंडे में राष्ट्रवाद केंद्र मे रहता है उसको कहीं न कहीं काउंटर करने की भी कोशिश के रूप में भी इसको देखा जा सकता है। ‘INDIA’में जहां I से इंडिया, N से नेशनल, D से डेवलपमेंट, I से इनक्लूसिव और A से अलायंस होगा। इस नाम में पूरे इंडिया की बात है तो वहीं नेशनल, डेवलपमेंट,इनक्लूसिव अलायंस होगा। यानी सबकुछ इसमें समाहित करने की कोशिश की गई है।

विपक्षी दल कहे जाने पर पर आपत्ति
जून के महीने में जब पहली बार पटना में विपक्षी दलों की बैठक हुई थी तो उस बैठक में विपक्षी दलों की ओर से इस बात पर आपत्ति जताई गई थी कि उन्हें विपक्षी कहना ठीक नहीं। सत्ता पक्ष और विपक्ष यह दोनों लोकतंत्र में कोई नए शब्द नहीं। विपक्ष को भी यह बात पता है हालांकि विपक्षी दलों की ओर से इशारा कहीं और था। उनकी ओर से यह कहा गया कि हम बाहरी नहीं। पटना वाली मीटिंग से यह संकेत मिल गए कि आने वाले वक्त में नाम अलग होगा। राजनीति में परसेप्शन का बहुत महत्व होता है। विपक्ष की ओर से नाम के जरिए एक धारणा को बदलने की कोशिश जरूर की गई है।