- कलेक्टर श्री गोयल के नियमित मॉनिटरिंग के फलस्वरूप मिली सफलता
- स्वास्थ्य विभाग के साथ नगर निगम एवं जिला स्तरीय अधिकारियों का रहा विशेष सहयोग
रायगढ़, 9 जनवरी 2025/ कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल के निर्देशन जिले में वर्ष 2024 में डेंगू नियंत्रण हेतु विशेष अभियान चलाकर डेंगू नियंत्रण का कार्य किया गया। जिसमें स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम के साथ अन्य विभाग की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। डेंगू बीमारी की अगर बात करें तो पिछले कई सालों से रायगढ़ शहरी क्षेत्र को अधिक प्रभावित किया है।
डेंगू नियंत्रण के लिए सीएमएचओ डॉ.बी.के.चन्द्रवंशी की अगुवाई में जिला मलेरिया अधिकारी, डॉ. टी.जी.कुलवेदी एवं जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुश्री रंजना पैंकरा द्वारा रायगढ़ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ साथ रायगढ़ शहरी क्षेत्रों को अधिक ध्यान दिया गया ताकि डेंगू बीमारी ग्रामीण क्षेत्रों तक न फैले एवं शहरी क्षेत्रों में ही सिमट के रह जाये।
कलेक्टर श्री गोयल ने डेंगूू नियंत्रण हेतु नियमित मॉनिटरिंग के साथ ही साप्ताहिक बैठक में बैठक में विशेष रूप से डेंगू के संबंध में चर्चा कर कार्ययोजना तैयार की गई। स्वास्थ्य विभाग एवं नगर निगम द्वारा डेंगू कन्ट्रोल हेतु शहरी क्षेत्र के प्रत्येक वार्डों के लिए टीम बनाई गई थी। वही कलेक्टर श्री गोयल ने स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागो के जिला स्तरीय अधिकारी एवं कर्मचारियों को अलर्ट रखा गया। जिसके तहत टीम बनाकर मैदानी अमले में डेंगू नियंत्रण हेतु कार्य करने हेतु निर्देशित किया गया था, जो सतत निगरानी के साथ त्वरित निराकरण कर रहे थे।
जिले में कार्ययोजना बना कर इस प्रकार किया गया डेंगू नियंत्रण
डेंगू नियंत्रण हेतु सर्वप्रथम प्रचार-प्रसार कर जन-जागरूकता फैलाई गई। समस्त शासकीय/निजी अस्पतालों एवं पैथोलॉजी लैब को डेंगू के संदेहात्मक लक्षण वाले मरीजों की अनिवार्य रूप से डेगू जांच हो इसके लिए निर्देशित किया गया। सभी शासकीय अस्पतालों में डेंगू जांच एवं उपचार की सुविधा नि:शुल्क की गई। इसके साथ ही कलेक्टर के निर्देश पर डेंगू जांच हेतु सभी संस्था के लिए न्युनतम दर निर्धारित किया गया। जिससे आम जनता को निजी संस्थाओं में भी डेंगू जांच कराने में असुविधा न हो। इसके अलावा कुछ पंजीकृत प्राईवेट अस्पतालों में डेंगू उपचार आयुष्मान कार्ड के माध्यम से नि:शुल्क किया गया है। जिन डेंगू मरीजों को प्लेटलेट्स की आवश्यकता थी, उनके लिए मेडिकल कॉलेज रायगढ़ के साथ साथ कुछ प्राईवेट अस्पतालों में भी प्लेटलेट्स की सुविधा प्रदान की गई है।
डेंगू जांच हेतु समस्त शासकीय संस्थाओं में पर्याप्त मात्रा में डेंगू रैपिड टेस्ट किट उपलब्ध करा दी गई थी। शासकीय संस्थाओं में डेंगू किट से पाजीटीव आने पर उक्त मरीज को संदेहास्पद मान कर उनका कन्फर्मेशन जांच हेतु सिरम सैप्पल मेडिकल कॉलेज रायगढ़ भेजा जाता था। जहां एलाईजा रीडर मशीन से जांच की जाती थी। समस्त शासकीय एवं निजी अस्पतालों में डेंगू उपचार हेतु अलग से डेंगू वार्ड की व्यवस्था की गई थी। प्रत्येक डेंगू मरीज के बेड पर मच्छरदानी की सुविधा भी उपलब्ध कराया गया था। डेंगू नियंत्रण हेतु जिला स्तरीय से लेकर विकासखण्ड स्तरीय रैपिड रिस्पांस टीम बनाई गई थी। जिला मुख्यालय में 24&7 डेंगू कन्ट्रोल रूम स्थापित करके आम जनता के सहायता हेतु हेल्पलाईन नंबर जारी किया गया था। जिसमें डेंगू से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी प्रदाय की जाती थी।
डेंगू नियंत्रण में जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ.भानु पटेल, नोडल अधिकारी डॉ.केनन डेनियल, डॉ.एस.के.मंडल, शहरी कार्यक्रम प्रबंधक श्री पी.डी. बस्तियां एवं जिला प्रशासन के सक्रिय सक्रिय अधिकारीगण एवं उसके सदस्यों तथा टीम के योगदान के साथ साथ सतत निगरानी के कारण वर्ष 2024 में डेंगू के अत्यधिक प्रकरण होने के बावजूद भी रायगढ़ जिला डेंगू बीमारी को नियंत्रित करने के सफलता हासिल की गई।
टीम द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में सोर्स रिडक्शन के साथ व्यक्तियों का ट्रैवल हिस्ट्री एवं स्वास्थ्य स्थिति का किया गया फॉलोअप
शहरी क्षेत्रों के लिए प्रत्येक वार्ड हेतु स्वास्थ्य विभाग की तरफ से नियंत्रण टीम बनाई गई थी। जिसमें मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सुपरवाईजरों की ड्यूटी लगाई गई थी, जो कि मेंडिकल कॉलेज से डेंगू की कंफर्मेंशन जांच उपरांत पाजीटीव रिपोर्ट आने पर मरीज के घर जाकर उनका ट्रेवल हिस्ट्री लिया जाता था एवं यह देखा जाता था कि मरीज के घर परिवार में किसी सदस्य को डेंगू के लक्षण तो नही है, अगर किसी सदस्य में लक्षण पाया जाता था तब उनको डेंगू जांच हेतु नजदीकी शासकीय स्वास्थ्य संस्था में डेंगू जांच हेतु सलाह दी जाती थी। साथ ही सभी डेंगू मरीजों का लगातार स्वास्थ्य स्थिति का फॉलोअप लिया जाता था।
डेंगू कन्ट्रोल टीम द्वारा संबंधित मरीज के घर जाकर उस क्षेत्र के चारों ओर के 100 घरों का सौर्स रिडक्शन रिडक्षन एवं लार्वा सर्वे का कार्य किया जाता था और यह देखा जाता था की उनके घर में कहीं लार्वा तो पनप नही रहा। ऐसे स्थान जहां लार्वा पाया जाता था वहां तुरंत लार्वा नाशक दवा को डालकर लार्वा को नष्ट किया जाता था। मरीज के साथ साथ मरीज के घर वालों को भी सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करने की सलाह दी जाती थी। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा नगर निगम के सहयोग से प्रत्येक वार्डो में प्रतिदिन फॉगिंग का कार्य कराया जाता था। जिसके लिए नगर निगम को मेलॉथियान दवाई भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करा दी गई थी। घर.घर लार्वा नाशक दवा कि वितरण हेतु भी नगर निगम को पर्याप्त मेात्रा में टेमिफॉस व बीटीआई उपलब्ध करा दिया गया था।
त्वरित जांच एवं उपचार से मिला मरीजों को लाभ
मेडिकल कॉलेज से डेंगू की एलाईजा जांच उपरांत कन्फर्म डेंगू पॉजीटीव रिपोर्ट आने पर संबंधित मरीजों की स्थिति अनुसार उनका घर पर ही उपचार की सुविधा तत्काल उपलब्ध कराया जाता था। ऐसे रोगी जिनके लक्षण गंभीर प्रकृति का प्रदर्शित होता था, उनको जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में भर्ती होने की सलाह दी जाती था या उनके सुविधा अनुसार प्राईवेट अस्पताल जहां मरीज के इलाज की सारी सुविधाएं उपलब्ध हो वहां भर्ती हेतु सलाह दी जाती थी। मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा लोगों को समझाईश भी दी जा रही थी, कि बुखार आने पर या डेंगू के किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं या स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से संपर्क करें या फिर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य संस्थाओं में डेंगू का टेस्ट कराने की सलाह एवं उपचार की जानकारी दी जाती थी।
डेेंगू नियंत्रण में जन जागरूकता की रही विशेष भूमिका
डेंगू नियंत्रण के लिए मितानिनों के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा जनसामान्य को जागरूक करने के साथ जन-जागरूकता हेतु पाम्पलेट वितरण का कार्य घर-घर जाकर किया गया। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक वार्डो में वॉल राईटिंग का कार्य के साथ साथ नारे लेखन का कार्य किया गया। शहरी क्षेत्रों के सभी डेंगू प्रभावित एरिया में समय-समय पर रैली का आयोजन कर लोगो को डेंगू से बचने व रोकथाम करने के उपायों को बताकर जन जागरूक करने का प्रयास किया गया। शहरी क्षेत्रों के समस्त स्कूलों में प्रार्थना के समय बच्चों को डेंगू रोग के लक्षण, रोकथाम एवं बचाव के संबंध में स्कूल शिक्षक एवं स्वास्थ्य विभाग के टीम के माध्यम से जानकारी दी जाती थी। डेंगू के रोकथाम के लिए समय-समय पर समीक्षा बैठक, न्यूज चैनल, आमचर्चा, न्यूज पेपर, सोशल मीडिया, रेडियों चैनल व अन्य के माध्यम से लोगों तक डेंगू के बचाव से संबंधित जानकारियां प्रदान की गई।