रायगढ़ से भाजपा के भरोसेमंद चेहरे नरेश गोरख महापौर पद के प्रबल दावेदार

रायगढ़। रायगढ़ नगर निगम के महापौर पद के लिए आरक्षण सूची जारी होते ही राजनीतिक गतिविधियों ने रफ्तार पकड़ ली है। अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के लिए आरक्षित इस महत्वपूर्ण सीट पर कई दावेदार सामने आ रहे हैं। इनमें भारतीय जनता पार्टी से नरेश गोरख का नाम सबसे प्रमुख रूप से उभर रहा है। संगठन और जनता के बीच अपनी मजबूत पकड़ के लिए पहचाने जाने वाले नरेश गोरख ने इस पद पर अपनी दावेदारी का खुलकर ऐलान किया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि पार्टी उन्हें मौका देती है, तो वे महापौर पद पर जीत की गारंटी देंगे। गोरख का कहना है कि उनके संगठनात्मक अनुभव और जनता के साथ गहरे जुड़ाव से पार्टी को इस चुनाव में बड़ी सफलता हासिल होगी।भाजपा के भीतर और बाहर, इस दावेदारी ने सियासी हलचल तेज कर दी है, और रायगढ़ की राजनीति में इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म।

2019 में बिगड़ा समीकरण, अब खुले रास्ते

2019 में रायगढ़ महापौर पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित होने से नरेश गोरख चुनाव नहीं लड़ सके। हालांकि, उन्होंने पार्टी के प्रति निष्ठा बनाए रखी और एल्डरमैन के रूप में सक्रिय रहे। अब, अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सीट आरक्षित होने से उनके चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है।

शैक्षिक और संगठनात्मक दक्षता

नरेश गोरख का नाम एक शिक्षित और संगठित नेता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने बी.ए., एल.एल.बी. और पी.जी.डी.सी.ए. जैसी उच्च शैक्षिक योग्यताएं प्राप्त की हैं। उनकी शिक्षा और कार्यशैली का तालमेल उन्हें एक कुशल और योग्य नेतृत्वकर्ता बनाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विद्या भारती से जुड़े संस्कारों ने उन्हें सामाजिक और राजनीतिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने का आधार प्रदान किया है।

सियासी सफर: 30 वर्षों की निष्ठा

नरेश गोरख ने अपनी सियासी यात्रा 1995 में भारतीय जनता पार्टी के सामान्य सदस्य के रूप में शुरू की थी। नगर मंडल सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल शुरू हुआ, और समय के साथ वे पार्टी के महत्वपूर्ण नेता बन गए। उन्होंने 2001 में अनुसूचित जाति मोर्चा के नगर मंडल सदस्य के रूप में काम किया और 2006 में प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। 2014 में जिला महामंत्री के रूप में उनका कार्यकाल रहा और 2015 में वे नगर पालिक निगम रायगढ़ के एल्डरमेन बने। 1995 से 2024 तक नगर पालिका, नगर निगम, विधानसभा और लोकसभा में सक्रिय भूमिका निभाई और सकारात्मक दायित्वों का निर्वहन किया। वर्तमान में जिला भाजपा के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। उनका नाम दिवंगत विधायक रोशनलाल अग्रवाल के “नवरत्नों” में शामिल किया गया था, जिससे उनकी संगठन के प्रति प्रतिबद्धता का पता चलता है। पिछले चुनाव में टिकट न मिलने के बावजूद उन्होंने पार्टी के प्रति निष्ठा बनाए रखी और एल्डरमैन के रूप में जनता की सेवा की। भाजपा संगठन के लिए नरेश गोरख का योगदान असाधारण रहा है। पार्टी के हर छोटे-बड़े पद पर काम करते हुए उन्होंने अपनी निष्ठा और कार्यकुशलता साबित की है। उनकी सरलता, कुशल नेतृत्व और जनता से सीधा संवाद उनकी पहचान है। उनका राजनीतिक दृष्टिकोण हमेशा जनता की सेवा और कल्याण पर केंद्रित रहा है।आज नरेश गोरख रायगढ़ की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा बन चुके हैं।

सामाजिक योगदान

सिर्फ राजनीति ही नहीं, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी नरेश गोरख की भागीदारी उल्लेखनीय है। वे सोनकर खटिक समाज रायगढ़ के अध्यक्ष हैं और शाला विकास समिति नटवर हाई स्कूल के सदस्य भी रह चुके हैं। पिछले 15 वर्षों में उन्होंने हजारों पौधे लगाए और उनके संरक्षण का काम किया। स्वच्छता अभियान के तहत महापुरुषों की प्रतिमाओं और सार्वजनिक पार्कों की देखभाल उनकी प्राथमिकता रही है। इसके अलावा, तिरंगा यात्रा और “मन की बात” जैसे सामाजिक कार्यक्रमों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही है।

भाजपा के लिए भरोसेमंद चेहरा

नरेश गोरख का भाजपा संगठन से जुड़ाव तीन दशकों से अधिक समय पुराना है। वे पार्टी के एक भरोसेमंद और निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में पहचाने जाते हैं। गोरख ने पार्टी के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया है, भाजपा के सदस्यता अभियान में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर अपनी जिम्मेदारी निभाई। बीजेपी से अनुसूचित जाति वर्ग से नरेश महापौर पद के प्रबल दावेदार हैं, जिसकी चर्चा केवल वार्ड ही नहीं,बल्कि जिले भर में होती रही है। उनकी संगठनात्मक क्षमता और सामाजिक दायित्वों को निभाने की प्रतिबद्धता उन्हें रायगढ़ की राजनीति में एक मजबूत स्तंभ के रूप में स्थापित करती है।

बहरहाल अब यह देखना होगा कि भाजपा नेतृत्व नरेश गोरख को महापौर पद का टिकट देती है या नहीं। रायगढ़ के राजनीतिक परिदृश्य में नरेश गोरख का उभरता कद और उनकी लोकप्रियता इस बार के निकाय चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। उनकी सुदृढ़ छवि, जनता के प्रति प्रतिबद्धता और संगठन में सक्रियता उन्हें रायगढ़ के सबसे लोकप्रिय युवा नेताओं में से एक बनाती है। यदि उन्हें यह मौका मिलता है, तो यह रायगढ़ की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है।