- सांगीतराई में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से बचने के लिए सरपंच ने की डील
रायगढ़। राजस्व विभाग की बेबसी की कोई सीमा नहीं है। विभाग अब तक यह पता नहीं लगा सका है कि सांगीतराई की करीब 15 एकड़ सरकारी जमीन को किसने बेचा। शहर से लगे इस क्षेत्र में जमीनों की कीमत बहुत ज्यादा है। बेशकीमती जमीन को खाली कराना तो दूर सबको नोटिस तक नहीं दिया गया। अब एक नई जानकारी सामने आई है जिसमें पता चला है कि पटवारी ने खुद ही यहां जमीन खरीद ली। भुगतान भी नकद में किया। कोई भी शासकीय सेवक जमीन खरीदने से पूर्व शासन से अनुमति लेना अनिवार्य है। रायगढ़ जिले में एक के बाद एक कई जगहों पर अधिकारी-कर्मचारी जमीनें खरीद रहे हैं। लेकिन को कोई अनुमति नहीं ले रहा।
आय से अधिक संपत्ति केे कई मामले सामने आ सकते हैं। अब जो मामला सामने आया है वह बेहद गंभीर प्रकृति का है। पटवारी को जिस हलके की जिम्मेदारी दी जाती है, वहां सरकारी जमीन पर कब्जे रोकने की उम्मीद भी की जाती है। सांगीतराई का एक मजेदार मामला पता चला है। यहां पटवारी की पदस्थापना की गई थी। सांगीतराई में 15 एकड़ से अधिक सरकारी जमीन को लोकल भूमाफिया ने स्टाम्प पर बेच दिया है। कई परिवारों को चंद हजार रुपए में शासकीय जमीन का टुकड़ा दे दिया गया। पुष्पलता राठिया को इसमें प्रतिवेदन देना था। सीमांकन के बाद बेदखली की कार्रवाई की जानी थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। कुछ महीनों बाद पता चला कि पटवारी ने खुद भी वहां खसरा नंबर 8/1 रकबा 0.117 हे. भूमि खरीद ली। साहबाईन पति श्रीराम, आजाद, राजेंद्र सिदार और उषा ने जमीन की रजिस्ट्री जून 2022 में पुष्पलता राठिया के नाम कर दी। इसके लिए कोई पुर्वानुमति नहीं ली गई।
नकद में किया भुगतान
पटवारी ने जमीन खरीदने से पहले विधिवत अनुमति ही नहीं ली। रजिस्ट्री में लिखा गया है कि लेन-देन नकद में किया गया है। 5.14 लाख रुपए भूमिस्वामी को पटवारी ने दिए। जबकि 20 हजार रुपए से अधिक की संपत्ति क्रय करने पर चैक से भुगतान करने का प्रावधान है। यह रकम अवैध आय से अर्जित की गई थी इसीलिए ऐसे भुगतान किया गया।
सरपंच की भी भूमिका
सूत्रों के मुताबिक इस जमीन को खरीदने के लिए सरपंच ने बहुत मदद की। सरकारी जमीन बेचने वालों पर कार्रवाई नहीं करने के एवज में यह अघोषित डील की गई। आखिर क्या समझौता हुआ कि पटवारी को सांगीतराई में बेशकीमती जमीन मिल गई। इसकी शिकायत कलेक्टर से हुई है। एसडीएम को जांच के आदेश दिए गए हैं।