नई दिल्ली:
केंद्र ने Central Civil Services (Leave) नियम, 1972 में संशोधन किया है. अब सरोगेट माताओं और पेरेंट्स, जो बच्चों को गोद लेते हैं, उन्हें बाल देखभाल अवकाश का अधिकार मिल गया है. डीडी न्यूज के मुताबिक, सरोगेसी के मामलों में सरोगेट, केंद्र सरकार का कर्मचारी, 180 दिनों का मातृत्व अवकाश पा सकेगा. इसी तरह, अगर कमीशनिंग मां, जिसके दो से कम जीवित बच्चे हैं और वह सरकारी कर्मचारी है, तो उसे भी 180 दिन का मातृत्व अवकाश मिलेगा.
गौरतलब है कि संशोधित नियमों के साथ सरकार ने सरोगेसी मामलों में पितृत्व अवकाश की भी अनुमति दे दी है. बता दें कि, नियम कमीशनिंग पिता को, जो एक केंद्रीय कमीशनिंग कर्मचारी भी है, बच्चे के जन्म के छह महीने के भीतर 15 दिनों के पितृत्व अवकाश की सुविधा देता है. मगर उसके दो से अधिक जीवित बच्चे नहीं होने चाहिए.
मालूम हो कि, सरोगेसी को 2002 में कानूनी बना दिया गया था, लेकिन 2022 में सरोगेसी (विनियमन) नियम पारित होने तक यह अनियमित रहा. फिर फरवरी 2024 में, केंद्र ने नियमों में संशोधन करके विवाहित जोड़ों को भी किसी दाता के अंडे या शुक्राणु का इस्तेमाल करने की इजाजत सौंप दी, ताकि पति-पत्नी में से कोई एक साथी किसी चिकित्सीय स्थिति से पीड़ित हो, तो उन्हें संतान का सुख मिल सके.
संशोधित सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 के अनुसार जिला मेडिकल बोर्ड को प्रमाणित करना होगा कि, पति या पत्नी में से कोई एक चिकित्सीय स्थिति से पीड़ित है, जिसके लिए डोनर गैमीट के उपयोग की आवश्यकता है.
यह संशोधन 2023 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा देश भर की महिलाओं से याचिकाएं प्राप्त करने के बाद आया, जब उसने एक दुर्लभ जन्मजात विकार वाली महिला को डोनर अंडे के साथ सरोगेसी का लाभ उठाने की अनुमति दी थी.