नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में खरीफ की 14 प्रमुख फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने का निर्णय लिया गया। मंत्रिमंडल के इस फैसले पर जहां सत्ता पक्ष की ओर से इसकी सराहना की गई, वहीं प्रमुख किसानों नेताओं ने नाखुुशी जाहिर की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के फैसले के संबंध में एक्स पर लिखा, हमारी सरकार किसानों के हितों के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इसी दिशा मेें आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2024-25 के लिए खरीफ की सभी प्रमुख फसलों की एमएसपी में बढोतरी की मंजूरी दी है।
कृषि मंत्री व मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक्स पर लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार किसानों के कल्याण व सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है। आज पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस साल के खरीफ सीजन के सभी प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई। सबसे अधिक बढोतरी दलहल व तिलहन में की गई है। सरकार के इस निर्णय से किसानों को उनकी उपज का उचित लाभकारी मूल्य मिल सकेगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा, पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में खरीफ की सभी प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूूूल्य मेें बढोतरी को मंजूरी दे दी गई है। इससे किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिलेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी। किसानों के हित में लिए गए इस फैसले के लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देता हूं।
केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी फसलों की एमएसपी बढ़ाने के सरकार के फैसले की सराहना की और कहा कि इससे किसानों की आय बढ़ेगी।
केंद्र सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने एक्स पर लिखा, धान की फसल पर एमएसपी में वृद्धि से छत्तीसगढ़ के किसानों को दोहरा लाभ होगा। मोदी सरकार का खरीफ की 14 प्रमुख फसलों की एमएसपी बढ़ाने का निर्णय सराहनीय है। इसके लिए मैं प्रदेश की तीन करोड़ जनता की ओर से पीएम मोदी व केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभार व्यक्त करता हूं।
उधर, सरकार के इस फैसलेे पर नाखुशी जताते हुए मध्यप्रदेश के प्रमुख किसान नेता शिवकुमार शर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित एमएसपी पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा, किसान मुुुख्य रूप से दो फसलें गेहूं व धान उगाते हैं। इनमें से धान पर घोषित एमएसपी पर्याप्त नहीं है। शिव कुमार ने कहा कि जब तक गेहूं और धान की एमएसपी सी-टू के हिसाब से तय नहीं की जाएगी और एमएसपी को क़ानून गारंटी नहीं दी जाएगी, तब तक किसानों को खास लाभ नहीं होगा।
सरकार के फैसले पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश सिंह टिकैैत नेे कहा कि स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश के आधार एमएसपी बढ़ानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक एमएसपी को कानूनी गारंटी नहीं दी जाएगी, तब तक इसका लाभ किसानों को नहीं मिलेेेेगा। उन्होंने कहा कि सरकार एमएसपी तो घोषित कर देेेती है, लेकिन इसके आधार पर फसलों की खरीद नहीं करती, इसलिए किसानों को कोई खास लाभ नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि एमएसपी की कानूनी गांरटी न होने के कारण बिहार में हर साल मक्का उत्पादक किसानों को लगभग आठ हजार करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
एक अन्य सिख किसान नेता ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि एमएसपी को महंगाई के अनुपात में बढ़ाना चाहिए। हर साल महंगाई अधिक बढ़ती है,जबकि सरकार उस अनुपात में फसलों की कीमत नहीं बढ़ाती। इसलिए एमएसपी में वृद्धि से किसानों को कोई खास फायदा नहीं होता। उन्होंने एमएसपी को कानूनी गारंटी का रूप भी देने की मांग की।
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