छत्तीसगढ़ के बेमेतरा स्थित पिरदा की बारूद फैक्ट्री में हादसे के पांचवे दिन परिजनों से बात के बाद सात मजदूरों के परिजनों को प्रबंधन ने 30-30 लाख रुपए का मुआवजा दे दिया है इसमें से दो परिजनों ने मुआवजा लेने से इनकार कर दिया इसके बाद फैक्ट्री को जांच होने तक बंद रखने का फरमान कलेक्टर ने जारी कर दिया है जानकारी के मुताबिक फैक्ट्री के बाहर अभी भी ग्रामीण डटे हुए हैं।
इस हादसे के बाद एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने संयुक्त ऑपरेशन चलते हुए मजदूरों को मलबे में खोजने का प्रयास किया। ऑपरेशन के दौरान मलवे से मानव अंग और उनके मांस के लोथड़े को पॉलिथीन में एकत्रित कर बेमेतरा प्रशासन ने डीएनए के लिए भेज दिया है। इस हादसे के बाद से ही आसपास के ग्रामीण बड़ी संख्या में फैक्ट्री के गेट के बाहर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले 5 दिनों से जारी यह प्रदर्शन के बाद फैक्ट्री प्रबंधन ने लापता मजदूर और मृत मजदूरों के परिजनों को 30 लाख रुपए का मुआवजा देने की बात कही। जिसके बाद प्रदर्शनकारियों को सुबह सूचना दी गई की लापता मजदूर और मृत मजदूरों के परिजनों को 30 लाख रुपए दिए जाएंगे। हालांकि प्रदर्शनकारियों की यह मांग थी कि प्रत्येक मजदूरों को 50 लाख और आश्रितों को सरकारी नौकरी दी जाए। लेकिन दिनभर प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच चले वाद-विवाद के बाद शाम 5 बजे के आसपास अचानक दो मजदूरों के परिजनों को छोड़कर 7 मजदूर के परिजन धरना स्थल से उठकर फैक्ट्री के गेट के अंदर चले गए। इन परिजनों को फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से 30-30 लाख रुपए का चेक देकर फैक्ट्री के पीछे के गेट से गांव की तरफ रवाना कर दिया गया।
वही इस हादसे के बाद बेमेतरा कलेक्टर रणवीर शर्मा ने न्यायिक दंडाधिकारी जांच का आदेश शनिवार को ही दे दिया था। कलेक्टर ने बीते 29 मई बुधवार को एक नया आदेश जारी करते हुए यह कहा कि आगामी आदेश तक फैक्ट्री को बंद करने का निर्णय लिया गया है। कलेक्टर ने कहा कि जब तक इस पूरे मामले की जांच नहीं हो जाती तब तक यह परिसर और यहां उत्पादन और उससे संबंधित अन्य गतिविधियां आगामी आदेश तक बंद रहेगी।