कोलकाता:
पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा के पांच बार के सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने शनिवार को तृणमूल कांग्रेस के साथ पार्टी के चुनाव बाद के संबंधों के मुद्दे पर आलाकमान के खिलाफ विद्रोही तेवर दिखाया।
पार्टी के भीतर आंतरिक कलह की जड़ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का शनिवार को लखनऊ में मीडियाकर्मियों को दिया गया वह बयान है, जिसमें उन्होंने कहा था कि चुनाव के बाद सरकार गठन के लिए उठाए जाने वाले कदमों का फैसला चौधरी नहीं करेंगे। खड़गे ने कहा कि जरूरत पड़ने पार्टी आलाकमान फैसला करेगा।
खड़गे ने कहा था कि नेताओं को पार्टी आलाकमान के फैसले के अनुरूप चलना होगा या उन्हें पद छोड़ना होगा।
चौधरी ने खड़गे के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य होने के नाते वह आलाकमान का हिस्सा हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस आलाकमान तृणमूल कांग्रेस और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रति नरम रुख अपना सकता है, लेकिन चौधरी इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।
उधर, तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने खड़गे की टिप्पणी के हवाले से यह कहना शुरू कर दिया है कि पश्चिम बंगाल में उनकी पार्टी ही भाजपा का मुकाबला कर सकती है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को चौधरी ने चुनाव के बाद संभावित इंडिया ब्लॉक की सरकार को बाहर से समर्थन देने पर मुख्यमंत्री की टिप्पणियों पर कठोर प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
उन्होंने कहा, मुझे उन पर भरोसा नहीं है। वह इंडिया गुट से अलग हैं। अब वह हमारे साथ मिलने की कोशिश कर रही हैंं, क्योंकि उन्हें एहसास है कि हम राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हो रहे हैं।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस को लेकर कांग्रेस के भीतर ताजा आंतरिक मतभेद आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हलचल बढ़ा सकते हैं।
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