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छत्तीसगढ़ के बीजापुर में 10 मई को 12 संदिग्ध नक्सलियों के एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि घटना के दो दिन बाद ही ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मुठभेड़ फर्जी थी। कांग्रेस ने इस मुठभेड़ की जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन भी कर दिया है। इस टीम का नेतृत्व आदिवासी नेता और छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष संतराम नेताम कर रहे हैं। मंगलवार को गठित की गई इस कमेटी में इंद्र शाह मंडावी, विक्रम मंडावी, जनक राम ध्रुव, सावित्री मंडावी, देवती कर्मा, रजनू नेताम और शंकर कुडियाम शामिल हैं।
इनामी नक्सलियों के मारे जाने का दावा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पत्र जारी कर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सदस्यों से जल्द से जल्द विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंपने की अपील की है। बीते शुक्रवार को सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ के बाद कहा था कि उन्होंने प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की सैन्य कंपनी नंबर 2 के दो सदस्यों, बुधु ओयम और कल्लू पुनेम समेत कुल 12 नक्सलियों को एक एनकाउंटर में मार गिराया है। बुधु ओयम और कल्लू पुनेम के सिर पर 8 लाख रुपये का इनाम था।
किन पर कितना ईनाम
मुठभेड़ में मारे गए अन्य संदिग्धों में नक्सलियों की गंगालूर एरिया कमेटी का सदस्य लाखे कुंजाम और सैन्य प्लाटून नंबर 12 का सदस्य भीमा कराम भी शामिल था। इनके सिर पर 5-5 लाख रुपये का इनाम था। अन्य मृतकों में मिलिशिया प्लाटून कमांडर सन्नू लाकोम और जनता सरकार (पीपुल्स गवर्नमेंट) के उप-प्रमुख अवलम थे जिनके सिर पर 2 लाख रुपये का इनाम था।
कांग्रेस विधायक कवासी लखमा ने उठाए सवाल
एनकाउंटर के दो दिन बाद 12 मई को मृतकों के शवों के लिए स्थानीय ग्रामीण बीजापुर पहुंचे। उन्होंने दावा किया कि मुठभेड़ फर्जी थी। इसमें क्षेत्र के निवासी सुरक्षा बलों की गोलीबारी का शिकार हुए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि कुछ ग्रामीण जंगल से तेंदू पत्ते तोड़ने गए थे। ये लोग भागने लगे तभी सुरक्षा बल उनकी ओर बढ़े और फायरिंग कर दी। कांग्रेस विधायक कवासी लखमा ने भी एनकाउंटर पर सवाल उठाए थे। उन्होंने सरकार से इसकी जांच कराने की मांग की।
जांच बैठाने की मांग
कवासी लखमा ने कहा- मीडिया से पता चला है कि पीडिया में मारे गए 12 लोग आसपास के गांवों के तेंदू पत्ता संग्राहक थे। यही वजह है कि कांग्रेस मामले की जांच के लिए एक राज्य स्तरीय जांच टीम भेज रही है। यह सीजन तेंदू पत्ता जुटाने का है। आदिवासियों को नक्सली बताना पुलिस की पुरानी आदत है। आदिवासी क्षेत्र की पहचान हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो इलाके से आदिवासी खत्म हो जाएंगे। भाजपा सरकार को ऐसी घटनाओं पर रोक लगानी चाहिए और जांच बैठानी चाहिए।
आदिवासी महासभा के अध्यक्ष भी करेंगे दौरा
वहीं आदिवासी महासभा के अध्यक्ष और सीपीआई के पूर्व नेता मनीष कुंजाम ने कहा कि वह बुधवार को गांव का दौरा करेंगे क्योंकि इस मुठभेड़ ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने एक 10 भरमार राइफल बरामद की है जो एक बार फायर कर सकती है। इसे दोबारा लोड करने में कम से कम 30 मिनट लगेंगे। इससे पता चलता है कि कुछ गड़बड़ है। मैं अपनी टीम के साथ गांव का दौरा करूंगा और फिर मीडिया से बात करूंगा।
क्या बोली भाजपा?
प्रदेश भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस को मुठभेड़ों पर बोलने से पहले सोचना चाहिए क्योंकि इससे सुरक्षा बलों के मनोबल पर असर पड़ता है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अजय चंद्राकर ने कहा कि टीम को यह भी पता लगाना चाहिए कि कहीं नक्सलियों के डर से तो ग्रामीण एनकाउंटर को फर्जी नहीं बता रहे हैं। वहीं पुलिस उप महानिरीक्षक, (दक्षिण बस्तर) कमलोचयन कश्यप ने कांग्रेस के कदम पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने पूर्व में ग्रामीणों के दावों को खारिज कर दिया था।